Rohtak News: रोहतक के माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में बड़े धूमधाम से लोहड़ी का पर्व मनाया गया। इस मौके पर गद्दीनशीन मानेश्वरी देवी और भक्तजनों ने अग्नि की परिक्रमा करके और उसमें गुड़, चावल, और भूना हुआ मक्का की आहूति डाली।
‘लोहड़ी शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना’
इस मौके पर परमश्रद्धेया मानेश्वरी देवी जी ने भक्तों को प्रवचन देते हुए कहा कि ये त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। ये पर्व पौष माह का अंत और माघ माह की शुरुआत मानी जाती है। लोहड़ी शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है। ल से लकड़ी, ओह से गोहा यानि जलते हुए उपले और डी से रेवड़ी।
लोहड़ी को लाल लाही, लोहिता और खिचड़वार नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदैव अपनी मुख की वाणी मधुर और विचार शुद्ध रखने चाहिए। सत्संग का मतलब सत्य का संग आपके जीवन में यदि संग भी करने का भाव हो तो अच्छे लोगों का संग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अच्छी संगत ही अच्छे रास्ते पर ले जा सकती है। हमें कल की चिंता छोड़ देनी चाहिए। अच्छे कर्म करेंगे तो ही सुख प्राप्त होगा। सुख और दुख दोनों आते जाते हैं, उससे विचलित नहीं होना चाहिए।
वहीं, लोहड़ी को मौके पर सुंदरिये-मुंदरिये होए, तेरा कौन बेचारा होए, दुल्ला भट्टी वाला होए, दुल्ले की धी ब्याही होए, कोठे उते हुक्का, ऐ घर भूखा आदि पंजाबी लोक गीतों, बैंड-बाजों की धून के साथ, गिद्दा और भांगड़ा की थाप पर भक्तजन झूमते-नाचते दिखाई दिए।