Vat Savitri Vrat puja vidhi: ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने वाली स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि पर व्रट सावित्री का व्रत रखा जाता है. वट वृक्ष को हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है.
Vat Savitri Vrat puja vidhi: वट सावित्री व्रत की तारीख
इस साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या पर 26 मई 2025 को किया जाएगा. वहीं वट पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025 को है.
पूजा मुहूर्त
अमावस्या – 26 मई 2025
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 26, 2025 को दोपहर 12:11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 27, 2025 को सुबह 08:31 बजे
पूजा मुहूर्त – सुबह 8.52 – सुबह 10.35
पूर्णिमा – 10 जून 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जून 10, 2025 को सुबह 11:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जून 11, 2025 को दोपहर 1:13 बजे
पूजा मुहूर्त – सुबह 8.52 – दोपहर 2.05
वट सावित्री व्रत पूजन समाग्री
देसी घी, भीगा हुआ काला चना, मौसमी फल, अक्षत, धूपबत्ती, वट वृक्ष की डाल, गंगाजल, मिट्टी का घड़ा, सुपारी, पान, सिंदूर, हल्दी और मिठाई.
वट सावित्री पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद 16 शृंगार करें. अब वट वृक्ष के पेड़ की सफाई कर पूजा की शुरुआत करें. धूप, अगरबत्ती आदि जलायें. वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा लगायें. व्रत कथा का पाठ करें. आरती कर भोग लगाएं. अंत में मंदिर या गरीब लोगों में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें.
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के पालन से विवाहित महिलाएं अपने पतियों के लिए सौभाग्य और शुभफल ला सकती हैं, जैसे पुण्यात्मा और निष्ठावान सावित्री अपने पति को मृत्यु के मुख से वापस ले आईं थी. वट वृक्ष दीर्घायु होता है और यही कारण है कि विवाहित महिलायें इस पेड़ की पूजा करती हैं.