Friday, November 22, 2024
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हरियाणा में JJP को टूट का डर ,ये पांच विधायक छोड़ सकते हैं पार्टी

चंडीगढ़।हरियाणा में जेजेपी को पार्टी में टूट पड़ने का डर बना हुआ है। एक तरफ लोकसभा चुनाव सिर पर हैं तो दूसरी तरफ पार्टी में टूट पड़ने के आसार दिख रहे हैं। जेजेपी के मुख्य सचेतक द्वारा जारी व्हिप का उल्लंघन कर विधानसभा पहुंचे पांच विधायक जहां पार्टी में तोड़फोड़ करने की कोशिश में हैं।

भाजपा से अलग होने के बाद पार्टी को बचाए रखने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए जेजेपी विधायक दल के नेता दुष्यंत चौटाला ने फिलहाल उन पांचों विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करने का निर्णय लिया है, जिन्हें दो दिन पहले जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने विधानसभा में पहुंचने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगने के संकेत दिए थे।

गौरतलब है कि विधानसभा में जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक हैं। पांच विधायक देवेंद्र बबली रामकुमार गौतम , ईश्वर सिंह , रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगी राह सिहाग 13 मार्च को विधानसभा में पहुंचे थे। उस दिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना था। एक दिन पहले भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी के मुख्य सचेतक अमरजीत ढांडा ने तीन लाइन का व्हिप जारी करते हुए कहा था कि जेजेपी के सभी विधायकों को विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहना है।

यह पांचों विधायक विधानसभा में चले गए थे, मगर विश्वास मत पर चर्चा और उसके ध्वनिमत से पारित होने के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। उसी दिन हिसार में जेजेपी की नव संकल्प रैली थी, जिसमें ये पांचों विधायक नहीं पहुंचे थे, लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, विधायक नैना सिंह चौटाला, अनूप धानक, अमरजीत ढांडा और रामकरण काला ने रैली में भागीदारी की थी।

10 सदस्यीय पार्टी में यदि सात विधायक एक तरफ हो जाएं और पार्टी के टूटने की घोषणा कर दें तो जेजेपी टूट-फूट का शिकार हो जाएगी। ऐसे में बताया जाता है कि विधानसभा में पहुंचे पांचों विधायक जेजेपी के दो अन्य विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हैं। उनकी इन विधायकों के साथ कई मीटिंग हो चुकी है।दूसरी तरफ, दुष्यंत चौटाला के भी प्रयास हैं कि जो पांच विधायक बागी सुर अपनाए हुए हैं, उनमें सेंधमारी करते हुए अधिकतर को अपने साथ जोड़कर रखा जाए, ताकि पार्टी में बिखराव पैदा न हो। जेजेपी के बागी पांचों विधायकों की यह भी कोशिश है कि वे अपने पदों से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएं।

 

 

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