International Yoga Day: पूरे देश और दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशाखापत्तनम में योगाभ्यास किया। इस दौरान वहां पर बड़ी संख्या में लोगों ने योग किया।
इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नज़ीर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री राममोहन नायडू किंजरपु, जाधव प्रतापराव गणपतराव, डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा सहित अन्य गणमान्य भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत और विश्व भर के लोगों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि योग का सार “एकजुट होना” है और यह देखना उत्साहजनक है कि योग ने विश्व को कैसे एकजुट किया है। उन्होंने कहा कि 175 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जो इतनी व्यापक वैश्विक एकता का एक दुर्लभ उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह समर्थन केवल एक प्रस्ताव के लिए नहीं था, बल्कि इसने मानवता की भलाई के लिए दुनिया द्वारा किए गए सामूहिक प्रयास का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा, “ग्यारह वर्ष बाद, योग विश्व भर में लाखों लोगों की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन गया है।
मोदी ने कहा, चाहे वह सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियां हों, माउंट एवरेस्ट की चोटी हो या समुद्र का विशाल विस्तार हो, संदेश एक ही है, “योग सभी के लिए है, सीमाओं से परे, पृष्ठभूमि से परे, उम्र या क्षमता से परे है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” है। यह थीम एक गहन सत्य को दर्शाती है: पृथ्वी पर प्रत्येक जीव का स्वास्थ्य परस्पर जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण, हमारे भोजन को पैदा करने वाली मिट्टी, हमारे पानी की आपूर्ति करने वाली नदियों, हमारे इकोसिस्टम को साझा करने वाले पशुओं और हमें पोषण देने वाले पौधों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
पीएम मोदी ने कहा, योग हमें इस अंतर्संबंध के प्रति जागरूक करता है और हमें विश्व के साथ एकरूपता की दिशा में ले जाता है। “योग हमें सिखाता है कि हम अलग-थलग व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। शुरुआत में, हम अपने स्वास्थ्य और कल्याण की देखभाल करना सीखते हैं, लेकिन धीरे-धीरे, यह देखभाल हमारे पर्यावरण, समाज और पूरे विश्व तक फैल जाती है। योग एक गहन व्यक्तिगत अनुशासन है, जो एक सामूहिक प्रणाली के रूप में भी कार्य करता है- यह व्यक्तियों को मैं से हम में रूपांतरित करता है।
योग मानवता के लिए सांस लेने, संतुलन बनाए रखने के लिए पौज बटन है
मोदी ने कहा, “मैं से हम” की भावना भारत की आत्मा को समेटे हुए है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति स्वार्थ से ऊपर उठकर व्यापक स्तर पर समाज के बारे में सोचना शुरू करता है, तो पूरी मानवता का कल्याण संभव हो जाता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमें “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का मूल्य सिखाती है- सभी का कल्याण व्यक्ति का पवित्र कर्तव्य है और ‘मैं’ से ‘हम’ की यह यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही सोच सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देती है।
विश्व के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते तनाव, अशांति और अस्थिरता पर चिंता व्यक्त करते हुए, मोदी ने कहा कि ऐसे समय में योग शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा, योग मानवता को सांस लेने, संतुलन बनाने और फिर से संपूर्ण बनने के लिए आवश्यक पौज बटन है। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर वैश्विक समुदाय से विशेष अपील करते हुए आग्रह किया, इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.0 की शुरुआत का प्रतीक बनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बनेगी।
उन्होंने जोर दिया कि योग को केवल एक व्यक्तिगत अभ्यास नहीं रहना चाहिए, बल्कि वैश्विक साझेदारी के लिए एक माध्यम के रूप में विकसित होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक राष्ट्र और प्रत्येक समाज से योग को अपनी जीवनशैली और सार्वजनिक नीति में शामिल करने का आग्रह किया। मोदी ने एक शांतिपूर्ण, संतुलित और टिकाऊ विश्व को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास की कल्पना की। उन्होंने कहा, योग को चाहिए कि वह विश्व को संघर्ष से सहयोग की ओर और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।
प्रधानमंत्री ने सभी से योग को जन आंदोलन में बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि यह एक ऐसा आंदोलन है जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और सद्भाव की ओर ले जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने दिन का आरंभ योग से करे ताकि जीवन में संतुलन आए और प्रत्येक समाज तनाव से मुक्त होने के लिए योग को अपनाए। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए समापन किया, योग को मानवता को एक सूत्र में पिरोने का काम करना चाहिए, एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग को वैश्विक संकल्प बनना चाहिए।