कुरुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Mahotsav) में सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी हस्त शिल्पकला को अद्भुत तरीके से सजाने का काम किया गया है।
अहम पहलू यह है कि वेस्ट लकड़ी से पोट बनाकर और कारविंग की शिल्पकला को पूरे राष्ट्र में पसंद किया गया। अहम पहलू यह है कि सहारनपुर से आए शिल्पकार जावेद पिछले 10 सालों से महोत्सव में अपनी शिल्पकला के साथ पहुंच रहे है।
ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर अलग-अलग राज्यों से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को मोह लिया है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 15 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला की मेहनत के सार को खुद में ही बयां कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर सहारनपुर से आए जावेद ने महोत्सव में स्टॉल नंबर 255 पर अपनी शिल्पकला को रखा है।
उन्होंने बातचीत करते हुए बताया कि वे अपने साथ लकड़ी का बना साज्जों-सजावट का सामान लेकर आए है। वे यह सारा सामान नीम, शीशम व टीक की लकड़ी से बनाते है तथा इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है तथा अपनी हस्त शिल्पकला का प्रदर्शन अन्य राज्यों में भी करते है।
वे इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष आते है तथा इस बार वे अपने साथ झूला, कॉफी सेट, टी सेट, रॉकिंग चेयर, रेस्ट चेयर, फ्लावर पोर्ट, कार्नर व स्टूल लेकर आए है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर इस अदभुत शिल्पकला ने एक अनोखी छाप छोड़ी है, महोत्सव में दूर दराज से आए शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला से ब्रह्मसरोवर का पावन तट सज चुका है। वर्ष 2023 के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पर्यटकों ने लाखों रुपए का समान खरीदा था। इस बार भी अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है।
शिल्पकारों की हस्त की शिल्पकला को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ से यह उत्साह देखने को मिल रहा है तथा इन शिल्पकारों की शिल्पकला से बनी अनोखी वस्तुओं को पर्यटक जमकर खरीददारी कर रहे है। उन्होंने इनकी कीमत 1 हजार से 20 हजार तक रखी है।