International Gita Mahotsav 2024 : कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए देश के विभिन्न राज्यों से शिल्पकारों एवं कारीगरों द्वारा बनाया गया सामान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र तो बन ही रहा है, वहीं पर्यटकों द्वारा कारीगरों द्वारा बनाए गए सामान की अच्छी खरीदारी भी की जा रही है।
इसी कड़ी में गांव ढोह, विकास खंड बमसम जिला हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) के रहने वाले मेहराज ने बताया कि वे गीता महोत्सव में पिछले कई वर्षों से अपने हाथ से बनाए गए प्योर लेदर के जूते, पर्स, बैलेट व बैग आदि की अनेक प्रकार की वैरायटी लेकर आते हैं। मेहराज ने बताया कि ब्रह्मसरोवर के तट पर सरस और क्राफ्ट मेले में स्टॉल नंबर-833 पर प्योर लेदर से बने जूते, पर्स, बैग आदि बिक्री कर रहे हैं।
मेहराज ने बताया कि वे हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्योर लेदर से बना सामान लेकर आते हैं और यह उनका पुश्तैनी कार्य है। यह कार्य पिछले 35 वर्ष से उसके परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं, इस कार्य में उनके परिवार के सभी सदस्य मिलकर कार्य करते हैं इससे पहले उनके दादा व पिता जी इस कार्य को करते थे और अब वे अपने इस पुश्तैनी कार्य को बाखुबी करके अपनी जीविका चला रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस कार्य में उनकी बेटी व पत्नी का विशेष योगदान है और उन्हीं की प्रेरणा से आज उन्हें इस कार्य में अच्छी पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण आजीविका मिशन हिमाचल प्रदेश की ओर से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित सरस एवं क्राफ्ट मेले में लेदर से बने सामान को बेचने का मौका मिला है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण आजीविका मिशन हिमाचल प्रदेश के सहयोग से उन्हें अपना रोजगार चलाने के लिए एवं शिव सेवा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पंजाब नेशनल बैंक से ऋण उपलब्ध हुआ।
मेहराज लेदर कारीगर ने बताया कि ग्रामीण आजीविका मिशन हिमाचल प्रदेश के सहयोग से ही उन्हें देश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले सरस एवं क्राफ्ट मेले के माध्यम से उन्हें अच्छी पहचान मिली है। उन्होंने ग्रामीण आजीविका मिशन हरियाणा व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के साथ-साथ प्रदेश सरकार का भी धन्यवाद किया।
उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र प्रशासन द्वारा उन्हें रहने, खाने व पीने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाई है और वे प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा स्वयं तैयार किए गए लेदर के सामान की कीमत 1300 रुपए से लेकर 1600 रुपये तक है। मेले में आने वाले पर्यटक इस सामान से प्रभावित होकर बिना किसी संकोच खरीद कर रहे है, जिससे उन्हें भी अच्छी आमदनी हो रही है।
मेहराज ने बताया कि अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ कुरुक्षेत्र के अलावा देश के कई प्रदेशों में लगने वाले बड़े मेलों में लेदर से बने सामान को ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि मेरी स्टॉल से लेदर का सामान खरीदने वाला ग्राहक, हर साल मेरा इंतजार करेगा।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार किए गया लेदर का सामान काफी समय तक टिकाऊ बना रहता है। उन्होंने कहा कि सरस व क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों एवं कारीगरों को अपनी कला को उजागर करने का एक अच्छा स्थान है और पर्यटकों को भी पुरानी संस्कृति से रूबरू करवाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि युवा भी ग्रामीण आजीविका मिशन से जुडक़र स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपना रोजगार चला सकते हैं।