कुरुक्षेत्र : ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 15 नवंबर से 5 दिसंबर 2025 तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने विश्व पटल पर अपनी एक अनोखी छाप छोड़ने का काम किया है।
इतना ही नहीं इस अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की गूंज देश प्रदेश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुनाई दे रही है। अहम पहलू यह है कि इस महोत्सव के 15 वें दिन भी पर्यटक महोत्सव को निहार रहे है।

ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर शनिवार को इस अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकारों की अनोखी शिल्प कला को देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो रहे है, विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी शिल्पकला का अनोखा प्रदर्शन कर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम कर रहे है और पर्यटक इन शिल्पकारों की शिल्पकला से बनी वस्तुओं की जमकर खरीददारी भी कर रहे है। इन शिल्पकारों की शिल्पकला ने ब्रह्मसरोवर की फिजा का रंग बदलने का काम किया है।
उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि प्रदेश सरकार और प्रशासन के तत्वाधान में आयोजित ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के 15वें दिन विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की सांस्कृतिक लोक कला से पर्यटकों को झूमने पर मजबूर किया है। इतना ही नहीं ढोल की धाप और बीन के लहरे पर पर्यटक भाव विभोर होकर घूमते नजर आ रहे है।
महोत्सव में आने वाला हर एक पर्यटक इस महोत्सव की जमकर प्रशंसा कर रहा है। विभिन्न राज्यों से आए हुए लोक कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को उजागर करने का काम किया है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव विलुप्त हो चुकी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने का एक बड़ा मंच साबित हो रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने वाले हर कोई पर्यटक इन लम्हों को अपने-अपने कैमरों में कैद करते हुए नजर आ रहे है।

