कुरुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 में ब्रह्मसरोवर का पावन तट जहां देश की संस्कृति को प्रदर्शित करने का मुख्य मंच बना हुआ है, वहीं विभिन्न प्रदेशों के खान-पान का भी यहां पर सहजता से मजा लिया जा सकता है।
इन खानपान के व्यंजनों के बीच में जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिला के गांव पटन से आए मोहम्मद मगबूल सूफी व उनके साथी अपने साथ कश्मीर का मुख्य पेय कश्मीरी काहवा व ड्राई फ्रूट लेकर महोत्सव में पहुंचे है। इस कश्मीरी काहवा की भीनी-भीनी महक की वजह से महोत्सव में आने वाले पर्यटक उनके स्टॉल पर खींचे चले आते है।
उनके परिवार के सदस्यों मजहबी बेगम, मोहम्मद इरफान लोन, मोहम्मद उसमान लोन, शबीर अहमद ढार ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि कश्मीरी काहवा एक पेय पदार्थ से कहीं कुछ बढक़र है। यह काहवा कश्मीर की संस्कृति, इतिहास और परंपरा का प्रतीक है। महोत्सव के स्टॉल नंबर 29 पर कश्मीरी काहवा को तैयार करती मजहबी बेगम व उनके परिजन पर्यटकों के स्नेह व आकर्षण का केंद्र बने हुए है। वे पिछले कई सालों से गीता महोत्सव में आ रही है। उनके स्टॉल पर कश्मीर के पारम्परिक पेय कश्मीरी काहवा के साथ-साथ सूखे मेवे भी मौजूद है। उनका यह पारिवारिक व्यवसाय है और वह बिना किसी केमिकल के उपयोग से सुखे मेवों को उपलब्ध करवाने का काम करते है।
उन्होंने बताया कि उनके स्टॉल पर करीब 30 प्रकार के ड्राई फ्रूट उपलब्ध है, जिनमें बादाम, अंजीर, सऊदी अरब के खजूर, दालचीनी, केसर, काजू, अखरोट, किशमिश, मुलेठी, इलायची आदि शामिल है। वह पिछले 14 सालों से लगातार इस महोत्सव में आ रहे है।
इस महोत्सव में प्रशासन द्वारा बहुत ही पुख्ता प्रबंध किए गए है। इसके साथ-साथ पर्यटकों व स्थानीय लोगों का उनको बहुत सहयोग मिलता है। उनकी सेल में भी लगातार इजाफा हो रहा है। वह अब तक इस महोत्सव में 8 लाख की सेल कर चुके है।

