चंडीगढ़: हरियाणा सरकार राजस्व सुधारों में तेजी से काम कर रही है, जिसमें बड़े पैमाने पर मानचित्रण कार्यक्रम, उत्तर प्रदेश के साथ सीमा निर्धारण और पूरी तरह से कागज़ रहित संपत्ति पंजीकरण प्रणाली का कार्य शामिल है।
सभी उपायुक्तों के साथ हुई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए वित्त आयुक्त राजस्व (एफसीआर) डॉ. सुमिता मिश्रा ने सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन पर ज़ोर दिया।
उन्होंने अधिकारियों को ततिमा अद्यतनीकरण कार्य- भूमि भूखंड मानचित्रों के डिजिटलीकरण और सत्यापन को अगस्त 2025 तक पूरा करने का भी निर्देश दिया।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि राज्य भारतीय सर्वेक्षण विभाग के निर्देशों के अनुरूप हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच 1,221 सीमा स्तंभ स्थापित करने पर जोर दिया गया है। स्तंभ लगाने का कार्य पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल और करनाल सहित कई जिलों में होगा। एसओआई सर्वेक्षणों पर आधारित मानचित्र संबंधित जिलों के साथ साझा किए गए हैं और कार्य को प्रभावी ढंग से करने के लिए धनराशि जारी कर दी गई है।
इस दौरान डिजिटल भूमि अभिलेखों के महत्व को ध्यान में रखकर एफसीआर ने राज्य के सभी जिलों में आधुनिक राजस्व अभिलेख कक्ष (एमआरआरआर) स्थापित करने की प्रगति की समीक्षा भी की। उन्होंने निर्देश दिया कि डिजिटल अभिलेखों का सभी दस्तावेज़ सत्यापन 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाए।
उन्होंने घोषणा की है कि पासपोर्ट सेवा केंद्र प्रणाली की तर्ज पर हरियाणा में पंजीकरण सेवाएं जल्द ही पूरी तरह से कागज़ रहित कर दी जाएंगी। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, कार्यों में देरी कम करना और नागरिकों के अनुभव को बेहतर बनाना है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि एक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है जो स्वामित्व पंजीकरण के समय एक साथ म्यूटेशन की अनुमति देता है। इस एकीकरण से म्यूटेशन के लंबित मामलों में काफी कमी आएगी।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि नई डिजिटल पहल के तहत एक पोर्टल बनाया जाएगा, जो अगस्त 2025 तक चालू हो जाएगा। यह राजस्व न्यायालय मामला प्रबंधन प्रणाली समग्र जवाबदेही में सुधार करेगी, लंबित मामलों को कम करेगी और भूमि संबंधी सेवाओं को जनता के लिए तेज और अधिक सुलभ बनाएगी। उन्होंने कहा कि इस नई पहल से मुख्यालय के साथ-साथ ज़िला स्तर पर निगरानी अधिक पारदर्शी होगी।
एफसीआर ने बताया कि राज्य भर में सीमांकन प्रक्रिया जल्द ही उन्नत रोवर्स के माध्यम से संचालित की जाएगी और सभी उपायुक्तों को कर्मचारियों के प्रशिक्षण और उपकरणों की अग्रिम खरीद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। डॉ. मिश्रा ने उपायुक्तों से कृषि जनगणना 2021-22 के दूसरे चरण के लिए लंबित सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आग्रह किया, विशेष रूप से उन 16 जिलों से जिन्होंने अभी तक भारत सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि 6 जिला राजस्व अधिकारियों (डीआरओ), 23 तहसीलदारों और 9 नायब तहसीलदारों सहित 38 दोषी राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जा रही है। उन्होंने उपायुक्तों को समय पर रिपोर्टिंग और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया ताकि सभी अधिकारी दिशानिर्देशों का पालन करें और अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक पूरा करें।
बैठक में भूमि जोत एवं भू-अभिलेख चकबंदी के निदेशक यशपाल, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव राहुल हुड्डा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव कमलेश कुमार भादू के अलावा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।