भारत सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल के महत्वपूर्ण निर्यातक के रूप में उभर रहा है, क्योंकि देश चीन से वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत की तलाश में है, ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ सके। 2024-25 के वित्तीय वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर तक, भारत ने $711.95 मिलियन मूल्य के फोटोवोल्टिक मॉड्यूल (पैनल) निर्यात किए, जिनमें से 96 प्रतिशत शिपमेंट अमेरिका को गए। इसके साथ ही, भारत ने $25 मिलियन मूल्य के असम्बल किए गए पीवी सेल भी निर्यात किए, जिनमें से 90 प्रतिशत अमेरिका को भेजे गए। यह चीन से दूरी बनाने के साथ अमेरिका में भारतीय सौर उत्पादों की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
भारत ने सौर फोटोवोल्टिक उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। 2022 में जहां निर्यात शुद्ध आयात से कम था, वहीं 2024 में यह 2 बिलियन डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने की संभावना है। इस उन्नति के कारण, भारतीय पीवी निर्माताओं के लिए अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में निवेश का लाभ भी मिल रहा है, जिससे उत्पादन की क्षमता में वृद्धि होगी और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा।
हालांकि, भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए अपस्ट्रीम बैकवर्ड इंटीग्रेशन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इससे भारत न केवल मौजूदा बाजारों में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेगा, बल्कि नए बाजारों में भी प्रवेश कर सकेगा।
इसके साथ ही, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है, जहां इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। केंद्र सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के चलते, भारत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में एक प्रमुख खिलाड़ी बनता जा रहा है।