Friday, November 22, 2024
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श्री बाबा खाटूश्याम जी के भक्तों के लिए जरूरी सूचना, आज रात से कल तक नहीं होंगे बाबा के दर्शन, जानिए वजह

खाटू श्याम मंदिर के अस्तित्व में आने के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है। खाटू श्याम असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है।

रोहतक। श्री बाबा खाटूश्याम जी को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है। जहां दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने आते हैं। अगर आप इन दिनों विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल खाटूश्याम जी में आकर बाबा श्याम के सामने हाजिरी लगाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। बाबा श्याम का दरबार कुछ घण्टे के लिए बंद रहने वाला है। विशेष सेवा पूजा-अर्चना को लेकर मंदिर बंद रखने का निर्णय लिया गया है। 16 जनवरी को खाटूश्याम जी का मंदिर बंद रहेगा।

इतने समय के लिए बंद रहेगा मंदिर

श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि 16 जनवरी को बाबा श्याम की विशेष सेवा, पूजा-अर्चना की जाएगी. इस दिन बाबा का विशेष श्रृंगार भी किया जाएगा। इसके साथ ही वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ खाटूश्याम जी की आरती होगी। श्री श्याम मंदिर कमेटी ने सभी श्याम भक्तों से अपील की गई है कि 16 जनवरी को श्री श्याम प्रभू के दर्शन के लिए ना आए, क्योंकि विशेष सेवा-पूजा होने के कारण श्री श्याम प्रभू के दर्शन 15 जनवरी को रात्रि 9.30 बजे से दिनांक 16 जनवरी को सांय 5:30 बजे तक नहीं होंगे। इस मंदिर की एक बहुत ही खास और अनोखी बात प्रचलित है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है इसे बाबा श्याम का हर बार एक नया रूप देखने को मिलता है। कई लोगों को उनके आकार में भी बदलाव नजर आता है।

बाबा खाटू श्याम जी

सबसे बड़ा आस्था का केंद्र बना खाटूश्याम जी

खाटू श्याम जी में स्थित बाबा श्याम को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। कोरोना के बाद लगातार खाटू श्याम जी आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद कई गुना बढ़ी है। पर्यटन विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा श्रद्धालु इस बार खाटू श्याम जी आए हैं। पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार खाटू श्याम जी का मंदिर, जयपुर के पर्यटन स्थल को टक्कर दे रहा है। इस बार नए साल पर अनुमान के अनुसार 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा श्याम के दर्शन किए हैं। ऐसे में धीरे-धीरे बाबा श्याम की आस्था लोगों में बढ़ती जा रही है और बड़ी तादाद में श्याम भक्त, खाटू श्याम जी आ रहे हैं।

कौन हैं बाबा खाटू श्याम

खाटू श्याम मंदिर के अस्तित्व में आने के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है। खाटू श्याम असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे और इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है।

बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम

महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने अपनी माता अहिलावती के समक्ष इस युद्ध में जाने की इच्छा प्रकट की। जब मां ने इसकी अनुमति दे दी तो उन्होंने माता से पूछा, ‘मैं युद्ध में किसका साथ दूं?’ इस प्रश्न पर माता ने विचार किया कि कौरवों के साथ तो विशाल सेना, स्वयं भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, कृपाचार्य, अंगराज कर्ण जैसे महारथी हैं, इनके सामने पांडव अवश्य ही हार जाएंगे। इसलिए उन्होंने बर्बरीक से कहा कि ‘जो हार रहा हो, तुम उसी का सहारा बनो।’

बर्बरीक ने माता को वचन दिया कि वह ऐसा ही करेंगे और वह युद्ध भूमि की ओर निकल पड़े। भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का अंत जानते थे इसलिए उन्होंने सोचा कि अगर कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देने लगा तो पांडवों का हारना निश्चित है। तब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक सोच में पड़ गया कि कोई ब्राह्मण मेरा शीश क्यों मांगेगा? यह सोच उन्होंने ब्राह्मण से उनके असली रूप के दर्शन की इच्छा व्यक्त की। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप में दर्शन दिए।

इसपर उन्होंने अपनी तलवार निकालकर श्रीकृष्ण के चरणों में अपना सिर अर्पण कर दिया। श्रीकृष्ण ने तेजी से उनके शीश को अपने हाथ में उठाया एवं अमृत से सींचकर अमर कर दिया। उन्होंने श्रीकृष्ण से सम्पूर्ण युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की इसलिए भगवान ने उनके शीश को युद्ध भूमि के समीप ही सबसे ऊंची पहाड़ी पर सुशोभित कर दिया, जहां से बर्बरीक पूरा युद्ध देख सकते थे।

खाटू श्याम कैसे बने हारे का सहारा

युद्ध की समाप्ति के बाद सभी पांडव विजय का श्रेय अपने ऊपर लेने लगे। आखिरकार निर्णय के लिए सभी श्रीकृष्ण के पास गए तो वह बोले, ‘‘मैं तो स्वयं व्यस्त था इसलिए मैं किसी का पराक्रम नहीं देख सका। ऐसा करते हैं, सभी बर्बरीक के पास चलते हैं।’’ वहां पहुंच कर भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे पांडवों के पराक्रम के बारे में पूछा तो बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया, ‘‘भगवन युद्ध में आपका सुदर्शन चक्र नाच रहा था और जगदम्बा लहू का पान कर रही थीं, मुझे तो ये लोग कहीं भी नजर नहीं आए।’’बर्बरीक का उत्तर सुन सभी की नजरें नीचे झुक गईं। तब श्रीकृष्ण ने उनसे प्रसन्न होकर इनका नाम श्याम रख दिया।

अपनी कलाएं एवं अपनी शक्तियां प्रदान करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि, ‘‘बर्बरीक धरती पर तुम से बड़ा दानी न तो कोई हुआ है और न ही होगा। मां को दिए वचन के अनुसार, तुम हारने वाले का सहारा बनोगे। लोग तुम्हारे दरबार में आकर जो भी मांगें उन्हें मिलेगा।’’ इस तरह से खाटू श्याम मंदिर अस्तित्व में आया।

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