Friday, July 4, 2025
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गैरकानूनी गर्भपात के खिलाफ हरियाणा की सख्ती, जिला स्तरीय स्थायी समितियों का गठन, उपायुक्तों को भी विशेष निर्देश

चंडीगढ़: हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने के लिए प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करने हेतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने बुधवार को राज्य के सभी उपायुक्तों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के प्रयासों को तेज करने और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत उपायों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

बैठक के दौरान, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश देते हुए कहा कि उपायुक्त इस मिशन को व्यक्तिगत प्राथमिकता दें और कन्या भ्रूण हत्या की समस्या से निपटने के लिए व्यापक कदम उठाएं। दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर निरंतर कार्रवाई किया जाना महत्वपूर्ण है।

राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के तहत, उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय स्थायी समितियों का गठन किया जा रहा है और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) इसके सदस्य सचिव होंगे। इन समितियों का उद्देश्य निगरानी, प्रवर्तन और समन्वय को मजबूत करते हुए राज्य में लिंगानुपात को बेहतर बनाना है। इन समितियों को हर सप्ताह बैठकें करने, एमटीपी किट की बिक्री, एमटीपी और अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच तथा लिंग निर्धारण तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

अवैध गर्भपात का मुद्दा एक सामाजिक चुनौती

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध गर्भपात का मुद्दा एक सामाजिक चुनौती है, जिसके लिए सरकार के समग्र दृष्टिकोण के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि उनके जिलों में एमटीपी किट की अवैध बिक्री न हो। इसके अलावा, नियमित निरीक्षण और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि लिंग-निर्धारण संबंधी प्रथाओं में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और हरियाणा मेडिकल काउंसिल द्वारा उनके लाइसेंस को भी रद्द किया जाएगा।

सभी गर्भपातों की गहन जांच की जाए

इसके अलावा, 12 सप्ताह से अधिक के सभी गर्भपातों की गहन जांच की जाए, खासकर उन मामलों में जहां दंपति के पास पहले से ही एक या अधिक बेटियां हैं। सिविल सर्जनों को इन जांचों का नेतृत्व करने और कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए। उन्होंने निर्देश दिए कि किसी भी संदिग्ध एमटीपी मामले को ट्रैक किया जाए और कानूनी कार्रवाई की जाए। 10 सप्ताह से पहले हर गर्भावस्था का एएनसी पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए और इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी किए जाएं।

आशा या आंगनवाड़ी वर्कर को सहेली के रूप में नियुक्त

उन्होंने कहा कि एक या अधिक बेटियों वाली सभी गर्भवती महिलाओं को परामर्श देने और उनकी गर्भावस्था की निगरानी करने के लिए आशा या आंगनवाड़ी वर्कर को सहेली के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। इन महिलाओं और उनकी सहेली का रिकॉर्ड सिविल सर्जन द्वारा रखा जाएगा। गर्भपात की स्थिति में, संबंधित आशा या आंगनवाड़ी वर्कर के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

लिंगानुपात में सुधार के लिए सीएचसी-वार रणनीति तैयार की जाएगी

सीएचसी (शहरी और ग्रामीण) के एसएमओ इंचार्ज लिंगानुपात सुधार से संबंधित गतिविधियों के लिए उत्तरदायी होंगे। लिंगानुपात में सुधार के लिए सीएचसी-वार रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा, जिला प्रशासन को सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियानों का विस्तार करने और धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को साथ जोड़ने के निर्देश दिए, ताकि लैंगिक समानता और कन्याओं के महत्व का संदेश जन-जन तक पहुंच सके।

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