Saturday, November 15, 2025
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हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने हाउसिंग बोर्ड को 30 दिनों में बकाया पुनर्गणना का दिया आदेश

Haryana news : हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए हरियाणा हाउसिंग बॉर्ड को निर्देश दिया है कि वह शिकायतकर्ता के खाते में दर्ज बकाया राशि की पुनः गणना कर उसे 30 दिनों के भीतर संशोधित विवरण उपलब्ध कराए। साथ ही, शिकायतकर्ता को पांच हजार रुपये की क्षतिपूर्ति प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसका भुगतान हाउसिंग बोर्ड द्वारा किया जाएगा और यह राशि उस अधिकारी से वसूल की जाएगी जिसने दो वर्षों तक आवश्यक निर्देश जारी नहीं किए।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने पाया कि हाउसिंग बोर्ड ने 03 अगस्त 2022 की जीएसटी अधिसूचना के आधार पर अतिरिक्त कर और ब्याज तो लगा दिया, लेकिन दो वर्ष तक किसी भी आवंटी को इस संबंध में कोई नोटिस जारी नहीं किया। बिना सूचना के ब्याज वसूलना न केवल न्यायसंगत प्रक्रिया के विपरीत है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण भी है। बोर्ड द्वारा दिए गए “प्रशासनिक बाधाओं” के तर्क को भी कमीशन ने अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उसके समर्थन में कोई तथ्य अथवा रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया।

कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया कि बोर्ड द्वारा उद्धृत न्यायालयीन निर्णय वर्तमान मामले से संबंधित नहीं हैं और इनका प्रयोग प्रक्रियात्मक त्रुटियों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता।

आयोग ने कहा कि जीएसटी की मूल राशि वैध है और इसका भुगतान शिकायतकर्ता को करना होगा, किंतु जिस अवधि में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, उस दौरान का ब्याज शिकायतकर्ता पर नहीं डाला जा सकता। सी.जी.एस.टी.ऐक्ट 2017 की धारा 73(2) के अनुसार नोटिस देना अनिवार्य है और इस प्रावधान का पालन न करना कानून की भावना के विपरीत है।

कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया कि जब सेवा नो ड्यूज़ सर्टिफिकेट जारी करना है और आवेदक के खाते में दर्ज बकाया सीधे इसी सेवा से संबंधित हैं, तो आयोग वित्तीय गणना की वैधता और निष्पक्षता की जांच करने का पूर्ण अधिकार रखता है। हाउसिंग बोर्ड की यह दलील स्वीकार नहीं की गई कि राइट टू सर्विस ऐक्ट वित्तीय विवादों के निवारण का मंच नहीं है। राज्य सरकार ने स्वयं कई विभागों की ऐसी सेवाएँ इस अधिनियम के तहत अधिसूचित की हैं जिनमें वित्तीय लेनदेन और गणनाएँ शामिल हैं।

कमीशन ने अपने आदेश में कहा कि हाउसिंग बोर्ड और शिकायतकर्ता के बीच वर्ष 2022 के बाद कोई सक्रिय कानूनी अनुबंध भी नहीं था, ऐसे में अतिरिक्त कर लगाने से पहले आवंटी को सूचना देना और उसकी देयता स्पष्ट करना अनिवार्य था। बिना सूचना के ब्याज जोड़ना आवंटी के साथ अन्याय है और इस प्रकार की प्रशासनिक चूक स्वीकार्य नहीं है।

आयोग ने हाउसिंग बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह 15 जुलाई 2025 के अंतरिम आदेश के अनुसार बकाया राशि की संशोधित गणना कर 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को उपलब्ध कराए। साथ ही, शिकायतकर्ता से बैंक विवरण लेकर उसे क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान की जाए। आयोग ने हाउसिंग बोर्ड को 19 दिसंबर 2025 तक आदेश की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है।

कमीशन ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित अवधि में आदेशों का पालन नहीं किया गया या सक्षम न्यायालय से स्थगन/निरस्तीकरण आदेश नहीं लिया गया, तो आयोग को बाध्य होकर हाउसिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई शुरू करनी पड़ेगी।

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