Tuesday, December 30, 2025
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औसत बिजली बिलिंग पर हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने दिखाई सख्ती, कहा- ये उत्पीड़न की श्रेणी में आता है

चंडीगढ़ : हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने एक महत्वपूर्ण आदेश में बिजली उपभोक्ताओं को लंबे समय तक औसत आधार पर गलत बिल जारी करने के मामले को गंभीर लापरवाही करार दिया है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि वर्षों तक औसत बिल जारी कर बाद में अत्यधिक राशि का बिल थमाना उपभोक्ता उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले में उपभोक्ता को पहले नियमित रूप से 500 रुपये से 1000 रुपये  तक के बिजली बिल प्राप्त हो रहे थे, जबकि बाद में अचानक लगभग 78,000 रुपये का बिल जारी कर दिया गया। आयोग ने पाया कि संबंधित अवधि में उपभोक्ता को 19 जुलाई 2022 से 14 मई 2025 तक सही बिलिंग नहीं की गई और औसत आधार पर बिल जारी किए जाते रहे।

आयोग ने स्पष्ट किया कि डेटा माइग्रेशन अथवा तकनीकी कारणों की आड़ में उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ नहीं डाला जा सकता। आयोग ने यह भी कहा कि उपभोक्ता अपने उपयोग को प्राप्त होने वाले बिलों के आधार पर नियंत्रित करता है, इसलिए वर्षों बाद अत्यधिक राशि का बिल जारी करना पूर्णतः अनुचित है।

हरियाणा अधिकार सेवा अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह ) के तहत आयोग ने प्रत्येक गलत बिल को पृथक मामला मानते हुए उपभोक्ता को प्रति गलत बिल 500 रुपये  की दर से क्षतिपूर्ति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। यह राशि निगम द्वारा अपने कोष से अदा की जाएगी, जिसे बाद में दोषी एजेंसी अथवा अधिकारियों से वसूला जा सकेगा।

आयोग ने संबंधित एसडीओ को निर्देश दिए हैं कि वे गलत तरीके से जारी किए गए बिलों की सटीक संख्या निर्धारित कर प्रबंध निदेशक, डीएचबीवीएन को सूचित करें। साथ ही, प्रबंध निदेशक को 19 जनवरी 2026 तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

आयोग ने दोहराया कि देश की उच्च रेटिंग प्राप्त वितरण कंपनियों से इस प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है और उपभोक्ताओं को अनावश्यक रूप से परेशान करने वाले मामलों में आगे भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

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