हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग (Haryana Right to Service Commission) ने एक मामले में एस्टेट कार्यालय, कुरुक्षेत्र और जोनल प्रशासक, पंचकूला के बीच अनावश्यक देरी और अस्पष्ट प्रक्रिया को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) के कार्यप्रणाली पर कड़ी आपत्ति जताई है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया आयोग ने जांच में पाया कि शिकायतकर्ताओं द्वारा संपत्ति हस्तांतरण के लिए 09 जून 2023 को दिया गया आवेदन लगभग दस महीने तक बार-बार तकनीकी और प्रशासनिक आधारों पर अस्वीकार किया जाता रहा।
प्रवक्ता ने बताया जोनल प्रशासक कार्यालय द्वारा बार-बार की गई अस्वीकृतियां और देरी पूर्णतः अनुचित थीं और यह शिकायतकर्ताओं के साथ प्रत्यक्ष रूप से उत्पीड़न के समान है।
आयोग ने इस मामले में 09 जून 2023 से 05 अप्रैल 2024 तक कार्यभार में रहे सभी जोनल प्रशासकों के खिलाफ अपनी कड़ी नाराज़गी दर्ज की है।
हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह ) के अंतर्गत आयोग ने शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये मुआवजा देने के निर्देश हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को दिए हैं।
यह राशि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को प्रारंभ में स्वयं वहन करनी होगी और फिर संबंधित अधिकारियों से वसूली करनी होगी।
आयोग ने एस.जी.आर.ए -सह-प्रशासक (मुख्यालय) के कार्यालय में भी गंभीर लापरवाही पाई, जहां एक ऑफलाइन अपील, जिसे भवन में ही बैठे अधिकारी को भेजा गया था, पंजीकृत डाक से भेजने के बाद लापता हो गई। आयोग ने इसे प्रशासनिक शिथिलता का गंभीर उदाहरण बताते हुए एस.जी.आर.ए द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण को अस्वीकार कर दिया है।
आयोग के अवर सचिव द्वारा 26 जून 2025 को संबंधित कार्यालयों का निरीक्षण किया गया और रिपोर्ट आयोग को 04 जुलाई 2025 को प्रस्तुत की गई। निरीक्षण में यह सामने आया कि डाक प्राप्ति के रिकॉर्ड जैसे पियॉन बुक में जिम्मेदार अधिकारी का नाम स्पष्ट नहीं था।
आयोग ने अंतिम आदेश में एच.एस.वी.पी. के सभी संबंधित कार्यालयों को निर्देशित किया है कि पियॉन बुक, प्राप्ति रजिस्टर एवं प्रेषण रजिस्टर में जिम्मेदार अधिकारियों का पूरा नाम व पदनाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए अथवा पदनाम की मुहर लगाई जाए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचा न जा सके।