Haryana Politics : आफिशियली अब किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो ही गई हैं। कांग्रेस में मुख्यमंत्री बनने की लड़ाई से लेकर भारतीय जनता पार्टी की एक समर्पित कार्यकर्ता बनने तक इस सफर पर कभी अलग से बात की जा सकती है लेकिन आज मैं जिस शख्स की राजनीति की तारीफ करने वाला हूं वो हैं मनोहर लाल खट्टर जी।
हरियाणा और देश की राजनीति में अक्सर एक शब्द सुनने को मिल जाता है फलां राजनेता तो राजनीति का पीएचडी है, कुछ लोग अमित शाह को देश की राजनीति का चाणक्य भी बता देते हैं। हरियाणा में चौधरी भजनलाल को राजनीति का पीएचडी कहा जाता था लेकिन एक जमाने में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनकी पीएचडी की डिग्री कूडेदान में डलवा दी थी लेकिन मुझे आज ये बात कहने में कोई संदेह नहीं है कि असल में हरियाणा की राजनीति का असली चाणक्य या राजनीति का पीएचडी किसी को कहा जा सकता है तो वो मनोहर लाल खट्टर ही हैं।
कई मायनों में तो वो राजनीति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी ज्यादा चतुर खिलाड़ी निकले हैं। उन्होंने न केवल अपने राजनीतिक कौशल का इस्तेमाल करते हुए अपनी ही पार्टी के कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड, रामबिलास शर्मा जैसे दिग्गजों को पछाड़ा है बल्कि हरियाणा की राजनीति के तीनों लाल परिवारों के वंशजों को अपनी जय बुलवाने का भी गौरव हासिल है। आज पूरे उत्तर भारत में मनोहर लाल खट्टर जैसा चतुर राजनेता नहीं जहां उनकी पार्टी और उनकी पार्टी के बाहर एक राजनेता ऐसा नहीं है जो मनोहर लाल खट्टर को चुनौति दे सकता हो।
हरियाणा की राजनीति में खट्टर ही असली चाणक्य
मैं मनोहर जी का सच्चा आलोचक हूं, हजारों बार तथ्यों से ऊपर उनकी आलोचना की है, उनकी नीतियों की आलोचना की है, क्योंकि ये मेरा काम का हिस्सा है, भविष्य में भी करता रहूंगा लेकिन आज उनको राजनीति का चाणक्य या पीएचडी कहने के लिए इसलिए मजबूर हूं क्योंकि तमाम आलोचनाओं के बावजूद मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा की राजनीति में वो कर दिखाया है जो आज तक कोई नहीं कर पाया है। अपने सारे विरोधियों को अपने खूंटे से बांधने का जो हुनर मनोहर लाल खट्टर में है वो हरियाणा के किसी दूसरे लाल में कभी नहीं रहा है। साढ़े नौ साल तक हरियाणा प्रदेश पर एकछत्र राज करना, तीनों लाल परिवारों को भाजपा की जय बुलवाना, अपने लो प्रोफाइल शिष्य को हरियाणा का राज सौंपना और केंद्र में पावर और हाउसिंग जैसे दमदार महकमों का मंत्री होना और अहीरवाल के नेता राव इंद्रजीत को भी अपने से नीचे रखने का हुनर केवल मनोहर लाल जी ने ही दिखाया है और ये हमेशा उनके रिकॉर्ड में रहेगा।
हर लाल के परिवार को आइना दिखाया
अगर आप हरियाणा के सबसे सफल मुख्यमंत्रियों की बात करें तो इनमें निश्चित रूप से बंसीलाल, भजनलाल, देवीलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम ले सकते हैं। हुड्डा को छोड़ दें तो मनोहर लाल खट्टर ने हर लाल के परिवार को आइना दिखाया है और अपनी जय बुलवाई है। इतना ही नहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी एक तरह से मनोहर लाल राजनीति में पीछे छोडा है।
2019 के चुनाव में मनोहर लाल खट्टर का कौशल ही था कि उन्होंने हुड्डा को ये समझने का भी अवसर नहीं दिया कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाई जा सकती थी और सरकार खट्टर सहब बना ले गए।
खैर देवीलाल जी के राज की बात करें तो वो विरोधियों को बिल्कुल निपटाने की रणनीति में ज्यादा से विश्वास किया ही नहीं करते थे उन्होंने तो उनके ही परिवार के लोग आपसी कलह में उलझाकर रखा करते इसलिए उन्होंने अपने ताऊ होने का तो दावा किया लेकिन चाणक्य जैसी फीलिंग नहीं ली। आज उनके परिवार का एक सदस्य भाजपा में जिलाध्यक्ष रह चुका है तो चौधरी रणजीत चौटाला भाजपा में ही हैं। दुष्यंत चौटाला साढ़े चार साल तक मनोहर लाल के झंडे तले राजनीति कर चुके हैं और ये परिवार सबसे पहले मनोहर लाल जी ने साधा।
आदमपुर तक सिमट चुका ये राजनीतिक घराना
अगर चौधरी भजनलाल के परिवार का जिक्र करें तो एक जमाने में कुलदीप बिश्नोई रात तो छोड़े दिन में भी मुख्यमंत्री बनकर सोया करते थे लेकिन आज ये परिवार न केवल मनोहर लाल की कृपा पर आश्रित है बल्कि कभी लोकसभा तो कभी राज्यसभा जाने के लिए मनोहर का मुंह ताकता है और इसके बावजूद कुछ भी नहीं मिलता है। केवल एक सीट आदमपुर तक सिमट चुका ये राजनीतिक घराना अगर वास्तव में किसी ने सिमटाया है तो इसमें मनोहर लाल का बहुत बड़ा हाथ है और ये क्या कम हिम्मत की बात है कि हिसार की धरती पर जाकर मनोहर लाल जी ने पटवारी के पैसे मांगने वाला किस्सा सुनाकर जो वाहवाही बटोरी थी उसका तो आप सभी को ज्ञान है ही।
अब बंसीलाल परिवार की पुत्रवधू की राजनीति में क्या भूमिका रहेगी ये भी मनोहर लाल तय करेंगे
अब बात करते हैं चौधरी बंसीलाल परिवार की तो किरण चौधरी लंबे समय से हुड्डा से लड़तीं-लड़तीं आखिर टूटी भी तो सीधे जाकर गिरी मनोहर लाल जी दरवाजे पर ही। आज सब जानते हैं कि बेशक हरियाणा प्रदेश में सरकार नायाब सैनी की हो लेकिन उसका रिमोट दिल्ली में मनोहर जी के हाथ में है। अब भविष्य में बंसीलाल परिवार की पुत्रवधू की राजनीति में क्या भूमिका रहेगी ये भी तय मनोहर लाल जी करेंगे और इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री बनने के अपने सपने को किरण जी ने हमेशा हमेशा अपने यादों के तहखानों में बंद कर करके ही ये फैसला लिया है। अगर आज चौधरी बंसीलाल जिंदा होते तो शायद वो भी मनोहर लाल की पीठ ठोक देते कि जिस इंसान ने कभी उनका कहा नहीं माना उन्होंने उस किरण चौधरी को भी ठीक कर दिया है। हालांकि भाजपा ही वो पार्टी है जिन्होंने चौधरी बंसीलाल को राजनीति में वो जख्म दिए जो वो मरते दम तक नहीं भूले लेकिन चौधरी बंसीलाल के जख्मों की परवाह किसे हैं यहां तो लोगों को खुद का और इसके बाद अपने बेटे बेटियों का फ्यूचर सेट करना है।
पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर हर विरोधी को निपटाया
मनोहर लाल जी ने अपने राजनीतिक कौशल से पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर हर विरोधी को निपटाया है। आने वाला समय मनोहर लाल जी के लिए कैसा रहेगा ये भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतिहास में हमेशा उनको इसके लिए जरूर याद रखा जाएगा कि हरियाणा प्रदेश के निंदाणा गांव में जन्मे मनोहर लाल खट्टर ने एक जमाने में हरियाणा के तीन राजनीतिक घरानों के वंशजों को अपने झंडे तले लाकर खड़ा कर दिया था।
(लेखक- धर्मेंद्र कंवारी वरिष्ठ पत्रकार हैं यह उनके अपने निजी विचार हैं)