Haryana Politics : हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए 25 मई को मतदान हो चुका है। 223 उम्मीदवार का भविष्य EVM में कैद हो चुका है। जिसका फैसला 4 जून को होगा। वहीं चुनाव नतीजे इनेलो और जेजेपी के लिए निर्णायक साबित होने वाले हैं। दोनों ही पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। इनेलो को लोकसभा चुनाव में छह प्रतिशत मत हासिल करना जरूरी है। नहीं तो क्षेत्रीय दल की मान्यता छिन सकती है। सबकी निगाह कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़े अभय चौटाला और हिसार से चुनावी मैदान में उतरी सुनैना चौटाला पर टिकी हैं।
वहीं पहले ही जननायक जनता पार्टी फूट की शिकार हो रही है। जेजेपी प्रदेश की दसों लोकसभा सीटों पर चुनाव लडा है। जजपा के लिए सबसे अहम सीट हिसार है। जहां से दुष्यंत चौटाला की मां विधायक नैना चौटाला खुद चुनावी मैदान में थी।
भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी पर शिवसेना और NCP की तर्ज पर टूटने खतरा मंडरा रहा है। पार्टी के कई विधायक बागी हो गए हैं। JJP में टूट को लेकर बीते दिनों ही बागी विधायक एवं पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली ने संकेत दिए। प्रदेश में जजपा के 10 विधायक हैं, जिसमें से 6 विधायक बागी हो चुके हैं। वहीं लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद विरोध और बढ़ सकता है। जजपा की ओर से अपने 2 विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास के विरुद्ध स्पीकर को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत कार्रवाई करने की मांग की गई है। जिसमें दोनों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई है।
बता दें कि हरियाणा में चौधरी देवीलाल की विरासत को लेकर इनेलो और जजपा में जबरदस्त खींचतान चल रही है। दोनों दलों के नेता आए दिन खुद को देवी लाल का राजनीतिक वारिस बताते हैं।
इनेलो के टूटने के बाद बनी जेजेपी
उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नाम से दल बनाया था। उनके निधन के बाद पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने इस दल का नेतृत्व किया। 2018 में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) मे टूट पड़ गई। अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को बनाया। वहीं अब ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला के हाथों में इनेलो पार्टी की जिम्मेदारी है।