हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सात विधेयक पारित किए गए थे। इनमें हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया।संशोधन के अनुसार प्रत्येक निगम में पिछड़े वर्ग ‘ख’ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी तथा इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या, उस निगम में सीटों की कुल संख्या के समरूप अनुपात में, यथाशक्य, निकटतम होंगी, जो उस निगम की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी तथा यदि दशमलव 0.5 या उससे अधिक है तो आगामी उच्चतर पूर्णांक में पूर्णांकित की जाएगी, तथा अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्ग ‘क’ के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों को निकालने के बाद, ऐसी सीटें, उन सीटों, जिनमें पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या की अधिकतम प्रतिशतता है, से प्राप्त की गई पिछड़े वर्ग ‘ख’ के आरक्षण हेतु प्रस्तावित सीटों की संख्या की तीन गुणा में से ड्रा ऑफ लॉट्स द्वारा आबंटित की जाएंगी।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 में वर्णित आरक्षण नीति द्वारा पालिकाओं की संरचना निर्देशित होती है, इससे खंड (6) में प्रावधान है कि इस भाग की कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में किसी पालिका में स्थानों के या पालिकाओं में अध्यक्षों के पद के आरक्षण के लिए कोई उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. के0 कृष्ण मूर्ति व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य (2010) 7 एस.सी.सी. 202 के मामले में 11 मई,2010 के अपने निर्णय में अनुच्छेद 243 (6) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि यह प्रावधान राज्य विधानमंडलों को पिछड़े वर्गों के पक्ष में सीटें आरक्षित करने में सक्षम बनाता है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 की याचिका संख्या 980 शीर्षक विकास किशनराव गवाली बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य में 4 मार्च,2021 को पारित अपने फैसले से राज्य विधान, राज्य भर में, एक स्वतंत्र आयोग द्वारा पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की उचित जांच के बिना स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण की एक समान और कठोर मात्रा प्रदान नहीं कर सकता है। पिछड़े वर्गों के लिए स्थानीय निकायों में सीटें आरक्षित करने से पहले राज्य द्वारा अनुपालन की जाने वाली तीन परीक्षण शर्तों के अनुसार राज्य में स्थानीय निकायों के पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थों की समकालीन कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक समर्पित आयोग की स्थापना करना; आयोग की सिफारिशों के दृष्टिगत, स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए अपेक्षित आरक्षण के अनुपात को विनिर्दिष्ट करना, ताकि अत्याधिकता न हो; और किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में 50 प्रतिशत ऊध्वार्धर आरक्षण की ऊपरी सीमा का उल्लंघन नहीं करेगा अपेक्षित है।
एक अन्य याचिका संख्या 278 का 2022 शीर्षक ‘‘सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य तथा अन्य’’, में उच्च न्यायालय के आदेश 10 मई,2022 में कहा गया है कि जब तक राज्य सरकारों द्वारा ‘सभी तरह से’ ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी नहीं की जाती है, तब तक राज्य सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता है और सभी राज्य सरकारों व सम्बन्धित राज्य चुनाव आयोगों को संवैधानिक जनादेश को बनाए रखने के लिए इसका पालन करने के निर्देश दिये गये हैं।
सरकार, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अधिसूचना 12 जुलाई,2022 द्वारा, अन्य कार्यों के साथ-साथ, राज्य में, पंचायती राज संस्थाओं और पालिकाओं में पिछड़े वर्गों के लिए किए जाने वाले प्रावधान में आरक्षण के अनुपात का अध्ययन और सिफारिश करने के लिए हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था। इससे पहले हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग ने पालिकाओं के चुनावों में पिछड़ा वर्ग ‘क’ के लिए आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की थी, जिसे मंत्रिपरिषद की बैठक 8 मई,2023 में स्वीकार कर लिया गया था। तदानुसार, हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1994 की धारा-6 तथा 11 के तहत 2023 के अधिनियम संख्या 25, 19 सितम्बर,2023 के तहत प्रावधान किया गया था कि प्रत्येक निगम में पिछड़ा वर्ग ‘क’ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी और इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या, उस पालिका में कुल संख्या के समरूप अनुपात में, यथाशक्य, निकटतम होगी, जो उस पालिका की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़ा वर्ग ‘क ’ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होंगी।
भारत में अंतिम जनगणना जिसमें जाति आधारित आंकड़े शामिल किये गये थे, 1931 में की गई थी। 1951 के बाद से प्रत्येक जनगणना में केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या प्रकाशित की गई है। इस प्रकार जनगणना में पिछड़ा वर्ग ‘क’ की जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। सरकार ने हरियाणा परिवार पहचान अधिनियम, 2021 (2021 का 20) के तहत परिवार सूचना डाटा कोष (एफ.आई.डी.आर.) की स्थापना की है, जिसमें परिवारों में गठित हरियाणा के निवासियों के बारे में जानकारी उपलब्ध है जिसे गतिशील रूप से अद्यतन और समय-समय पर सत्यापित किया जाता है।
इसलिए, नगर निगमों के चुनावों में पिछड़ा वर्ग ‘क’ के लिए आताण के प्रयोजनार्थ एफ.आई.डी.आर. में उपलब्ध आंकड़ों पर विचार किया गया है। पिछड़ा वर्ग ‘क’ के लिए सीटों का आरक्षण और प्रत्येक पालिका के लिए पिछड़े वर्ग ‘क’ सहित सीटों की कुल संख्या, ऐसी तिथि, जो सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए, को हरियाणा परिवार पहचान अधिनियम, 2021 (2021 का 20) के तहत स्थापित परिवार सूचना डाटा कोष से प्राप्त की गई जनसंख्या के आधार पर नियत की जाएगी।
मतदाता-जनसंख्या अनुपात के अनुसार, राज्य में प्रत्येक 1000 व्यक्तियों पर योग्य मतदाताओं की संख्या लगभग 700 है। चूंकि, परिवार पहचान पत्र के लिए नामांकन एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है और इस बात की संभावना है कि कुछ क्षेत्रों में अधिकांश निवासियों ने एफ. आई. डी. आर. में पंजीकरण नहीं कराया हो, इस प्रकार यह भी विचार किया गया है कि जहां परिवार सूचना डाटा कोष से ली गई जनसंख्या, अन्तिम प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार ऐसे क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या के 140 प्रतिशत से कम है, तो क्षेत्र की मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या के 140 प्रतिशत के बराबर जनसंख्या पर विचार किया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग, हरियाणा के परामर्श से हरियाणा नगरपालिका वार्ड परिसीमन नियम, 1994 के नियम 7 में संशोधन करके निगम के वार्डों में जनसंख्या भिन्नता की सीमा को प्रति वार्ड औसत जनसंख्या से ऊपर या नीचे 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है।
हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुरूप नगर निगम में महापौर पदों में पिछड़े वर्गों ‘क’ के लिए आठ प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए, राज्य निर्वाचन आयोग, हरियाणा के परामर्श से, हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियम, 1994 के नियम 71(7) के तहत प्रावधान किया गया है।
हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की 5 अगस्त,2024 की रिपोर्ट के माध्यम से पालिकाओं के चुनावों में पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए भी आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की है कि प्रत्येक पालिका में पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी और इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या, उस पालिका में कुल सीटों की संख्या के समरूप अनुपात में, यथाशक्य निकटतम होंगी, जो उस पालिका की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़ा वर्ग व की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी।
नगर निगमों में महापौरों के कार्यालयों में पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की गई है, जिसके लिए राज्य चुनाव आयोग, हरियाणा के परामर्श से, हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियम, 1994 के नियम 71(7) के तहत प्रावधान किया जाना है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित ट्रिपल टैस्ट की तीसरी शर्त के अनुपालन में, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग ‘क’ तथा पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए आरक्षित कुल सीटों की संख्या, निगम में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। यदि ऐसा होता है तो प्रथम पिछड़ा वर्ग ‘ख’ तथा तदोपरान्त पिछड़ा वर्ग ‘क’ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, ऐसी अधिकतम संख्या तक अप्रतिबंधित की जाएगी, जो अनुसूचित जातियों, पिछड़ा वर्ग ‘क’ तथा पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, उस निगम में कुल सीटों की कुल संख्या के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। पिछड़ा वर्ग ‘ख’ के लिए प्रत्येक निगम में सीटों का आरक्षण, ऐसी तिथि, जो सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए को, हरियाणा परिवार पहचान अधिनियम, 2021 (2021 का 20) के तहत स्त्थापित परिवार सूचना डाटा कोष पर उपलब्ध है, की जनसंख्या के आधार पर नियत की जाएगी।
इसलिए, प्रत्येक निगम में पिछड़े वर्ग ‘ख’ के लिए वार्डों का पता लगाने और प्रत्येक निगम की सीटों में पिछड़े वर्ग ‘ख’ के लिए आरक्षण का प्रावधान करने के लिए, हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 11 में संशोधन किया जाना आवश्यक है, जोकि 16 अगस्त, 2024 से यानी अध्यादेश क्रमांक 2024 के 03 को अधिसूचित करने की तारीख से प्रभावी होगा।