हरियाणा के झज्जर जिले में रबी फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है,किसान तिलहन फसलों की बेहतर पैदावार लेने के लिए डीएपी(डाई अमोनियम फॉस्फेट) की बजाय एसएसपी यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट अथवा एनपीके का प्रयोग करें। इस खाद के इस्तेमाल से सरसों में तेल व वजन की मात्रा बढ़ती है व फसल की चमक में भी इजाफा होता है। इसके अलावा सर्दी के प्रकोप से बचानेे के लिए यह खाद कारगर है।
डीसी कैप्टन शक्ति सिंह ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि सरसों एक तिलहन फसल है इसलिए इसके बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को एसएसपी खाद का प्रयोग करना चाहिए। बीज बुवाई से पूर्व एसएसपी का प्रयोग न केवल पौधे की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है बल्कि यह फसल की गुणवत्ता की बढ़ोतरी में भी सहायक सिद्ध होता है। वहीं गेहूं की फसल में दाने का साइज़ व उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान आज भी सरसों व गेहूं की फसल के लिए डीएपी खाद पर निर्भर है जबकि बाजार में इसकी तुलना में कम दाम पर बेहतर विकल्प उपलब्ध है। उन्होंने जिला के सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान बाजार में उपलब्ध इस किफायती व बेहतर विकल्प का लाभ अवश्य उठाएं।
डीसी ने कहा कि कोई भी खाद व दवा विक्रेता अगर खाद बीज देते समय किसानों को जबरदस्ती अन्य खाद,बीज या अन्य पदार्थ देता है ,तो किसान संबंधित कृषि विभाग के कार्यालय में शिकायत करें,साथ ही उन्होंने कृषि अधिकारियों को ऐसे खाद व दवा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई केे निर्देश दिए हैं। डीसी ने कहा कि सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण योजना चलाई जा रही है,जिसके अंतर्गत एक हजार रुपए प्रति प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ जितेंद्र सिंह अहलावत ने उपरोक्त दोनों खाद की तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि किसान सरसों की बिजाई के लिए एक एकड़ में 50 किलो डीएपी यानी एक कट्टा खाद का प्रयोग करता है, जिसमें 46 प्रतिशत फास्फेट व 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है। यह खाद जमीन में जल्दी घुलनशील होती है इसलिए बीज के अंकुरण के समय पौधे को इसका कम लाभ मिलता है। इसके साथ ही तिलहन फसलों के लिए सल्फर, जोकि सबसे आवश्यक तत्व है, इसकी मात्रा डीएपी में शून्य प्रतिशत होती है। वहीं एसएसपी के एक कट्टे में 15.8 प्रतिशत फॉस्फेट व सल्फर की मात्रा 11 व कैल्शियम की मात्रा 20 प्रतिशत होती है। चूंकि एसएसपी में नाइट्रोजन की मात्रा शून्य है इसलिए इसकी पूर्ति के लिए हम एसएसपी के साथ यूरिया का प्रयोग कर सकते है।
डॉ अहलावत ने बताया कि एक एकड़ में डीएपी के एक कट्टे की तुलना में हमे बीज बुवाई से पूर्व एसएसपी के दो कट्टे का प्रयोग करना होगा। इससे एक एकड़ में फॉस्फेट की मात्रा करीब 31 प्रतिशत हो जाएगी वहीं तिलहन फसलों के आवश्यक तत्व यानी सल्फर की मात्रा करीब 22 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी किसान खेत मे नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए एसएसपी खाद की बुवाई से पहले एक एकड़ में 25 किलो यूरिया का छिडक़ाव जरूर करें। यूरिया के एक कट्टे में नाइट्रोजन की मात्रा करीब 46 प्रतिशत के करीब है।