चंडीगढ़। हरियाणा के राज्यपाल ने डॉ. सोनिया त्रिखा को HPSC के सदस्य के रूप में शपथ दिलवाई है। दरअसल डॉ. सोनिया त्रिखा स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी रही हैं। उन्होंने कल सायं ही हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। अप्रैल 2022 से हरियाणा सरकार के महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा के रूप में डॉ त्रिखा ने प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की सार्वजनिक क्षेत्र की सुविधाओं की देखरेख के लिए राज्य के स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों का नेतृत्व किया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन में मंगलवार को हरियाणा लोक सेवा आयोग की सदस्य के रूप में डॉ. सोनिया त्रिखा को पद, निष्ठा एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित कई गणमान्य भी उपस्थित थे।
डॉ. सोनिया त्रिखाकि स्वास्थ्य क्षेत्र के आलावा महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, कार्यकारी निदेशक राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र, निदेशक राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान और सिविल सर्जन जैसे पद पर भी भूमिका शामिल हैं। विशिष्ट शैक्षिक पृष्ठभूमि और व्यापक पेशेवर अनुभव के साथ डॉ. त्रिखा ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को बदलने और बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। अपने 25 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ़ तथा एशियन डेवलपमेंट बैंक में भी वर्षों तक स्वास्थ्य सलाहकार के रूप में भी सेवाएं दीं।
डॉ. सोनिया त्रिखा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से वर्ष 1991 में गोल्ड मेडल विशिष्टता के साथ एमबीबीएस और वर्ष 1995 में प्रसूति/स्त्री रोग विज्ञान में एमडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से स्वास्थ्य एवं अस्पताल प्रबंधन से वर्ष 2009 में स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन जैसे प्रसिद्ध संस्थान से वर्ष 2013 में सार्वजनिक स्वास्थ्य में एमएससी की डिग्री हासिल की।
डॉ. त्रिखा ने अक्टूबर 2014 – अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ के पद पर काम किया। इससे पहले वे UNICEF के दिल्ली स्थित कार्यालय में फरवरी 2010 – फरवरी 2012 के बीच एचआईवी एवं एड्स विशेषज्ञ के तौर पर कार्यरत रहीं। इसी कार्यालय में वे जनवरी 2009 – फरवरी 2010 तक स्वास्थ्य अधिकारी (मातृ एवं नवजात देखभाल) के पद पर कार्यरत रहीं।
जून 2007 – जुलाई 2008 तक उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भारत के दिल्ली स्थित कार्यालय में राष्ट्रीय सलाहकार, परिवार एवं प्रजनन स्वास्थ्य के पद पर काम किया। जुलाई 2004 – जून 2007 तक वे राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी, चंडीगढ़ में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत रहीं। उन्होंने मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल, प्रसूति/स्त्री रोग विभाग चंडीगढ़, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र पंचकूला, स्वच्छ फाउंडेशन, हिंदू चैरिटेबल अस्पताल सोनीपत में विभिन्न पदों पर सेवाएं दी।
डॉ. सोनिया त्रिखा के समर्पण और रणनीतिक नेतृत्व ने हरियाणा में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे यहां की आबादी की सेहत पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। डॉ. त्रिखा कार्यकाल अनेकों उपलब्धियों से भरा है। खासकर कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने क्षमता निर्माण, प्रयोगशाला परीक्षण, आपूर्ति श्रृंखला समर्थन और आवश्यक सेवाओं की निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, COVID-19 महामारी को रोकने में तकनीकी नेतृत्व प्रदान किया गया। उनके नेतृत्व में मार्च से सितंबर 2020 के दौरान कोविड 19 की परीक्षण की नैदानिक क्षमता में प्रति दिन 300 आरटी-पीसीआर परीक्षणों से परीक्षण को बढ़ाकर 15,000 प्रतिदिन किया गया। इस दौरान उनके प्रयासों से माध्यमिक देखभाल सुविधा केंद्रों में विशेष कोविड आपातकालीन विभाग और आईसीयू स्थापित किए गए। उन्होंने जिला अस्पताल पंचकूला में 14 बिस्तरों वाली गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) की स्थापना की पहल और नेतृत्व किया।
उन्होंने सेवाओं की गुणवत्ता और देखभाल की निरंतरता में सुधार के लिए 56 सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) का उपयोग करके अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (ई-उपचार) के कार्यान्वयन का नेतृत्व किया। नीति आयोग के निकट समन्वय में राज्य स्वास्थ्य सूचकांक (एसएचआई) के विभिन्न संकेतकों की निगरानी और वेलिडेशन में भी उन्होंने भूमिका निभाई। इसके साथ ही सभी हितधारकों के परामर्श से एसडीजी 3 पर ‘विज़न 2030’ दस्तावेज़ की तैयारी के लिए नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने WHO, CDC और J-PAL सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ कई परियोजनाओं का समन्वित कार्यान्वयन किया। डॉ. सोनिया त्रिखा ने अपने शोध और प्रकाशनों के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका काम स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं तक फैला हुआ है, जिसमें एंटीबायोटिक निर्धारित करने के पैटर्न से लेकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पहल तक शामिल हैं।