Saturday, November 23, 2024
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हरियाणा सरकार KMP एक्सप्रेसवे के किनारे बसाएगी सिटी ऑफ हैप्पीनेस और सिटी ऑफ जॉय नामक दो शहर

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे के किनारे दो नए शहर बसाएगी। इन शहरों में आवासीय और कमर्शल दोनों गतिविधियां होंगी। बता दें कि सरकार की योजना इस मार्ग पर कुल पांच शहर बसाने की है। पहले चरण में दो शहरों पर काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए सिंगापुर की एक कंपनी को गुरुवार को डीपीआर तैयार करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है।

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि पहले चरण में केएमपी के किनारे दो शहर बसाए जाएंगे, जिन्हें सिटी ऑफ हैप्पीनेस और सिटी ऑफ जॉय का नाम दिया गया है। पहला शहर खरखौदा-सोनीपत रोड पर बनेगा, जबकि दूसरा शहर पलवल-फरीदाबाद-जेवर रोड पर बनना प्रस्तावित है। इन दोनों शहरों को बसाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा चुका है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए सिंगापुर की प्राइवेट कंपनी को अनुबंधित किया गया है। उन्होंने बताया कि केएमपी के बगल 25 किलोमीटर के दायरे में ये शहर बसेंगे। ये शहर रिहायशी के साथ-साथ कमर्शल गतिविधियों के बड़े केंद्र के रूप में विकसित किए जाएंगे। दुष्यंत ने बताया कि इन शहरों में सिंगापुर और दुबई की तर्ज पर नियोजित विकास होगा।

तीन शहरों की योजना पर लगा ब्रेक
राज्य सरकार केएमपी पर बाकी जिन तीन क्षेत्रों में नए शहर बसाने की योजना बना रही थी, फिलहाल उसे रोक दिया गया है। यह रोक इसलिए लगाई गई है ताकि बसने वाले दो शहरों की स्वीकार्यता को अच्छी तरह से जांच लिया जाए। अगर इनके नतीजे बढ़िय़ा रहे तो बाकी तीन शहरों के लिए सरकार कदम बढ़ाएगी। बता दें कि हरियाणा सरकार ने पहले बहादुरगढ़ के पास, सोनीपत क्षेत्र में कुंडली से लेकर खरखौदा के बीच, सोहना के आसपास, पलवल के आसपास और मानेसर के आसपास करीब 50-50 हजार हेक्टेयर जमीन पर नए शहर विकसित करने की योजना तैयार की थी। अब इसमें काफी हद तक बदलाव किया जा चुका है।

कैसे होंगे नए शहरडिप्टी सीएम के अनुसार नए विकसित होने वाले दोनों शहर इको फ्रेंडली होंगे। दोनों शहरों के हर सेक्टर में शॉपिंग मॉल, अंडरपास और एलिवेटेड रोड होंगे। यहां दुनिया के शानदार विश्वविद्यालय होंगे। पैदल और साइकिल ट्रैक भी बनाया जाएगा। वहीं ई-वीकल और सौर ऊर्जा को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे केएमपी के किनारे खाली पड़ी जमीन का भी इस्तेमाल होगा और हरियाणा में औद्योगिक निवेश बढ़ने के रास्ते खुलेंगे।

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