चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने विभिन्न विभागों में वित्तीय अनुशासन को बढ़ाने और दक्षता में सुधार लाने के उद्देश्य से, प्रशासकीय विभागों में तैनात राज्य लेखा सेवा (एसएएस) संवर्ग के अधिकारियों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, जिनके पास वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का कार्यभार भी है, ने इस बारे में सभी प्रशासकीय सचिवों को एक पत्र जारी किया है।
पत्र में कहा गया है कि विभिन्न प्रशासनिक विभागों में कार्यरत अनुभाग अधिकारी, लेखा अधिकारी, वरिष्ठ लेखा अधिकारी और मुख्य लेखा अधिकारी जैसे एसएएस कैडर के अधिकारियों द्वारा कई वित्तीय प्रस्ताव बिना समुचित प्रारंभिक जांच के वित्त विभाग की अनुमति हेतु भेजे जा रहे हैं। इससे विभागीय सचिवालय पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और प्रस्तावों के निपटान में विलंब हो रहा है।
इसलिए विभिन्न प्रशासनिक विभागों में कार्यरत एसएएस कैडर के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे वित्तीय निहितार्थों वाले सभी प्रस्तावों को वित्त विभाग के पास भेजने से पहले प्रारंभिक स्तर पर पूरी गंभीरता और सावधानी के साथ उनकी जांच सुनिश्चित करें।
उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे सभी प्रस्ताव वित्त विभाग की नीतियों, परिपत्रों, बजटीय प्रावधानों और वित्तीय शक्तियों के अनुरूप हों। सम्बन्धित अधिकारी अनुशंसा, आपत्तियों या अवलोकन के साथ अंतिम जांच की स्पष्ट टिप्पणी दर्ज करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी आवश्यक दस्तावेज, चेकलिस्ट और अनुमोदन प्रस्ताव के साथ संलग्न हों। वे प्रशासनिक विभागों को किसी भी प्रक्रियागत या वित्तीय खामी की पूर्व सूचना देंगे ताकि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले उसमें आवश्यक सुधार किया जा सके।
विभागों में तैनात वित्त विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक प्रस्ताव की वित्तीय जांच निर्धारित प्रमुख मापदंडों के आधार पर की जाए। इसके अंतर्गत संबंधित मद के अंतर्गत बजट की उपलब्धता की पुष्टि तथा आवश्यकता होने पर पुनः विनियोजन (री-एप्रोप्रियेशन) का सुझाव शामिल है। प्रस्तावों की जांच इस दृष्टि से भी की जाएगी कि वे वित्त विभाग के सभी निर्देशों, विशेष रूप से मितव्ययिता, व्यय नियंत्रण तथा खरीद संबंधी परिपत्रों के अनुरूप हों।
सम्बन्धित अधिकारी यह भी परखेंगे कि प्रस्ताव सौंपी गई वित्तीय शक्तियों के अंदर है या उच्च स्तरीय अनुमोदन की आवश्यकता है। प्रत्येक प्रस्ताव के पीछे वित्तीय औचित्य का स्पष्ट मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें यदि कोई विकल्प तलाशा गया हो तो उसका भी उल्लेख किया जाएगा। आवर्ती और अनावर्ती व्यय की पहचान कर दीर्घकालिक वित्तीय प्रभावों का आकलन किया जाएगा। खरीद प्रक्रियाओं का पालन हरियाणा सेवा नियमावली (एचएसआर मैनुअल), सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) अथवा विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुसार सुनिश्चित किया जाएगा। स्टाफ संबंधी प्रस्ताव जैसे पद सृजन, वेतन संशोधन, सलाहकारों की नियुक्ति या जनशक्ति नियोजन से संबंधित प्रस्ताव को वित्त विभाग के मानदंडों के अनुरूप जांचा जाएगा। समयबद्ध योजनाओं और परियोजनाओं में अनुमोदित लागत, वित्तीय प्रवाह और समय-सीमा की पुष्टि की जाएगी। साथ ही, किसी भी प्रकार के अमान्य व्यय मद की पहचान कर उसे रेखांकित किया जाएगा।
इसके अलावा, यदि कोई प्रस्ताव किसी नई योजना से संबंधित हो, तो वित्त विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि समान उद्देश्य की कोई अन्य योजना पहले से न चल रही हो। ऐसे प्रस्तावों में योजना का संक्षिप्त पृष्ठभूमि विवरण तथा स्कीम का छह-स्तरीय प्रारूप (मेजर हेड, सब-मेजर हेड, माइनर हेड, सब हेड, डिटेल्ड हेड और ऑब्जेक्ट हेड) अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए।
साथ ही, वित्त विभाग की सहमति हेतु भेजे जाने वाले प्रत्येक प्रस्ताव के साथ संबंधित विभाग में तैनात वित्त विभाग के अधिकारी का एक प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना चाहिए। इसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि प्रस्ताव को वित्त विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जांचा गया है, बजटीय प्रावधान उपलब्ध है, सभी मानकों का पालन किया गया है तथा यह प्रस्ताव सहमति हेतु अनुशंसित है या नहीं।
प्रशासनिक विभागों में कार्यरत वित्त विभाग के अधिकारी प्रस्तावों की वित्तीय जांच की शुद्धता के लिए उत्तरदायी होंगे और वे वित्तीय औचित्य के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगे। वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन अधिकारियों को वित्तीय जांच की शुद्धता और पारदर्शिता के लिए सीधे उत्तरदायी माना जाएगा, और यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो उसके विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है। सभी प्रशासनिक सचिवों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने विभागों में तैनात एसएएस अधिकारियों को इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दें।