चंडीगढ़, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वर्ष 2025–27 के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दी गई। इस नीति में प्रमुख संरचनात्मक सुधार करते हुए आबकारी नीति वर्ष को अब वित्त वर्ष के साथ जोड़ा जाएगा। यह नीति 12 जून 2025 से 31 मार्च 2027 तक यानि 21.5 महीनों के लिए लागू होगी, जिसके बाद भविष्य की सभी नीतियाँ अप्रैल से मार्च वित्त वर्ष के अनुसार संचालित होंगी।
इस नीति के तहत वित्त वर्ष 2025–26 के लिए सरकार ने 14,064 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है। वित्त वर्ष 2024–25 में आबकारी एवं कराधान विभाग ने 12,650 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 12,700 करोड़ रुपये का संग्रहण कर बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
इस नीति के तहत अब जिन गांवों की आबादी 500 या उससे कम है, वहां कोई भी उप-विक्रय केंद्र (सब-वेंड) स्थापित नहीं किया जाएगा। यह कदम जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस नीति के लागू होते ही राज्य भर में 152 मौजूदा उप-विक्रय केंद्र बंद हो जाएंगे।
नई नीति में शराब के प्रचार-प्रसार पर भी सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं। अब सभी प्रकार के विज्ञापन, चाहे वे लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र के भीतर ही क्यों न हों, स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित होंगे। यदि इनका कोई उल्लंघन होता है तो पहली बार उल्लंघन करने पर 1 लाख रुपये, दूसरी बार 2 लाख रुपये और तीसरी बार उल्लंघन करने पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। इसके बाद कोई भी उल्लंघन एक गंभीर चूक माना जाएगा, जिससे आवंटित जोन को रद्द करने की कार्यवाही की जा सकती है।
नीति में टैवर्न (L-52) के संचालन के दिशा-निर्देशों को भी सख्त किया गया है। अब टैवर्न केवल विभाग द्वारा स्वीकृत बंद परिसरों में ही संचालित हो सकेंगे और वे राहगीरों को दिखाई नहीं देने चाहिए। टैवर्न में लाइव सिंगिंग, डांसिंग या नाटकीय प्रदर्शन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। शहरी क्षेत्रों में शराब के विक्रय केंद्र सुबह 4:00 बजे के बाद नहीं खुल सकेंगे, जबकि पहले यह सीमा सुबह 8:00 बजे तक थी।
कार्यक्रमों के लिए अस्थायी लाइसेंस (L-12A और L-12A-C) प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल किया गया है। बिना पंजीकृत व्यावसायिक स्थलों जैसे बैंक्वेट हॉल्स में एक दिन के लाइसेंस के लिए, विशेष रूप से गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला जैसे शहरी क्षेत्रों में, अधिक शुल्क लिया जाएगा। यह कदम पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ निगरानी को बेहतर बनाने में भी सहायक होगा।
यह नीति सामाजिक जिम्मेदारी और जन सुरक्षा पर विशेष बल देती है। सभी लाइसेंस प्राप्त विक्रय केंद्रों और उप-विक्रय केंद्रों पर “शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है” तथा “शराब पीकर वाहन न चलाएं” जैसी वैधानिक चेतावनी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है। इस पहल का उद्देश्य शराब सेवन और उससे जुड़े अपराधों के जोखिमों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।