सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के केवड़िया में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने एकता दिवस की शपथ भी दिलाई और एकता दिवस परेड देखी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का और एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया है।
PM मोदी ने कहा कि हर नागरिक को ऐसे हर काम से बचना चाहिए जो देश की एकता को कमज़ोर करता हो। उन्होंने कहा कि यही समय की मांग है और हर भारतीय के लिए एकता दिवस का मूल संदेश भी यही है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने राष्ट्र की संप्रभुता को सर्वोपरि रखा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि सरदार पटेल के निधन के बाद के वर्षों में, आने वाली सरकारों ने राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति उतनी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कश्मीर में हुई गलतियों, पूर्वोत्तर की चुनौतियों और देश भर में नक्सल-माओवादी आतंकवाद के प्रसार को भारत की संप्रभुता के लिए सीधा ख़तरा बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल की नीतियों का पालन करने के बजाय, उस दौर की सरकारों ने एक रीढ़विहीन दृष्टिकोण अपनाया, जिसका परिणाम देश को हिंसा और रक्तपात के रूप में भुगतना पड़ा।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 2014 के बाद, राष्ट्र ने एक बार फिर सरदार पटेल से प्रेरित दृढ़ संकल्प देखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कश्मीर अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से मुक्त हो गया है और पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और आतंकवाद के आकाओं को भी अब भारत की असली क्षमता का एहसास हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा है कि अगर कोई भारत को चुनौती देने की हिम्मत करता है, तो देश दुश्मन की ज़मीन पर हमला करके जवाब देता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत की प्रतिक्रिया हमेशा मज़बूत और निर्णायक रही है। उन्होंने कहा कि यह भारत के दुश्मनों के लिए एक संदेश है- “यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है और यह अपनी सुरक्षा और सम्मान से कभी समझौता नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में, पिछले ग्यारह वर्षों में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि नक्सल-माओवादी आतंकवाद की रीढ़ तोड़ना रही है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2014 से पहले देश में हालात ऐसे थे कि नक्सल-माओवादी समूह भारत के मध्य से ही अपना शासन चलाते थे। इन इलाकों में भारत का संविधान लागू नहीं होता था और पुलिस व प्रशासनिक व्यवस्थाएं काम नहीं कर पाती थीं। मोदी ने कहा कि नक्सली खुलेआम हुक्म चलाते थे, सड़क निर्माण में बाधा डालते थे और स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों पर बमबारी करते थे, जबकि प्रशासन उनके सामने बेबस नज़र आता था। वर्ष 2014 के बाद, हमारी सरकार ने नक्सल-माओवादी आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान चलाया।
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय एकता पर हमला करने की मानसिकता औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान विपक्षी दल को न केवल अंग्रेजों से सत्ता और पार्टी संरचना विरासत में मिली है, बल्कि उन्होंने उनकी अधीनता की मानसिकता को भी आत्मसात कर लिया है। यह देखते हुए कि कुछ ही दिनों में राष्ट्र राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगा, मोदी ने याद दिलाया कि 1905 में, जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तो वंदे मातरम प्रत्येक भारतीय के प्रतिरोध की सामूहिक आवाज और एकता एवं एकजुटता का प्रतीक बन गया। अंग्रेजों ने वंदे मातरम के उद्घोष पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रयास किया लेकिन असफल रहे।
आंतरिक सुरक्षा के लिए 36,000 कर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी
उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता के कारण, राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को भी उचित सम्मान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना ने उनकी स्मृतियों को अमर कर दिया है। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए 36,000 कर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, जिनमें पुलिस, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बलों के सदस्य शामिल हैं, जिनके पराक्रम को लंबे समय से उचित सम्मान नहीं दिया गया था।
एकता को राष्ट्र और समाज के अस्तित्व का आधार बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक समाज में एकता बनी रहती है, राष्ट्र की अखंडता सुरक्षित रहती है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, राष्ट्रीय एकता को तोड़ने वाली हर साजिश को विफल करना होगा। उन्होंने कहा कि देश राष्ट्रीय एकता के हर मोर्चे पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, एकजुट होकर, राष्ट्र ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करेगा और एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा। ( स्रोत-PIB)


