चंडीगढ़। हरियाणा सरकार पर किसान आंदोलन में मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवा रही गो यूनाइटेड सिख ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि हरियाणा सरकार सभी कानून और नियमों को खूंटी पर टांग कर आंदोलन कर रहे शांतमयी किसानों पर हथियार प्रयोग किया जा रहे हैं। यूनाइटेड सिख जिन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी इसको लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हुई है।
उनका कहना है कि प्रीतपाल सिंह जिसे हाई कोर्ट के जरिए रोहतक पीजीआई से चंडीगढ़ पीजीआई में वारंट अधिकारी के माध्यम से शिफ्ट करवाया गया है कि उसकी हालत बेहद नाजुक है। वह पानी तक नहीं पी सकता। प्रीतपाल सिंह के मामले की हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 4 मार्च को होनी है जबकि जिन अन्य घायलों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है उसकी सुनवाई 7 मार्च को होगी।
प्रीतपाल सिंह को बोरी में बंद करके पीटा
उन्होंने बताया कि किस तरह प्रितपाल सिंह को बोरी में बंद कर कर पीटा गया है जिस कारण उसके चेहरे पर पांच फ्रैक्चर हैं । हमने यह जानकारी फोटो सहित अदालत में भी दी है जिस पर जज ने यह टिप्पणी तक की की क्या यह जलियांवाला बाग है। उन्होंने बताया कि अन्य घायलों को लेकर भी विस्तृत जानकारी इकट्ठी की जा रही है । अभी तक हमने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर करके यह साबित करने की कोशिश की है कि सभी तरह की धाराओं, नियमों और कानून आदि का उल्लंघन करके किस तरह से निहत्थे किसानों पर उन हथियारों को उन पर यूज किया जा रहा है जो मिलिट्री के लोग दुश्मनों पर करते हैं।
अदालत से की न्यायिक जांच की मांग
उन्होंने बताया कि एक अन्य घायल जसकरण सिंह को एसएलआर की बुलेट लगी है जो उसके आर पार हो गई है। पुष्पेंद्र सिंह नाम के एक युवक की आंख की पुतली दो फाड़ हो चुकी है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में किसानों के प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन कहीं भी इस तरह की पीड़ा उन्हें नहीं दी जा रही है । हमने अदालत से न्यायिक जांच की भी मांग की है। गुरु मोहन प्रीत ने पंजाब सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले में हमारी कोई सहायता नहीं की है और ना ही यह मामला हरियाणा सरकार के पास उठाया है। जबकि यह पंजाब के अधिकार क्षेत्र का भी मामला है, जिसका उल्लंघन किया गया है।
केंद्र सरकार नहीं लिया कोई एक्शन
उनके साथ बैठे किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने बताया कि तीन कानून को लेकर 9 दिसंबर 2021 को जब आंदोलन को स्थगित किया गया तब हम ने यह घोषणा की थी कि यह आंदोलन बंद नहीं किया गया है बल्कि केंद्र सरकार ने हमारी मांगे मानने के लिए जो आश्वासन दिया है और उसके लिए कमेटी का गठन किया गया है, हम उसकी रिपोर्ट का इंतजार करेंगे । सिरसा ने कहा कि जब 3 साल बीतने के बावजूद केंद्र सरकार ने इस और कोई कदम नहीं उठाया तब हमें मजबूरन आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी है।