Friday, December 5, 2025
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लुप्त हो रही गोरैया चिड़िया को बचाने में जुटे शिल्पकार, नारियल व जूट के छोटे-बड़े घोंसले बना रहे

कुरुक्षेत्र : बढ़ते प्रदूषण के कारण लुप्त हो रही गौरैया चिड़िया के संरक्षण के लिए चंड़ीगढ़ से आए मामचंद द्वारा सराहनीय प्रयास किए जा रहे है। इस शिल्पकार द्वारा महोत्सव के पूर्वी तट पर स्टॉल नंबर 169 स्थापित किया गया है। इस स्टॉल पर उनके द्वारा नारियल और जूट से तैयार किए गए सुंदर-सुंदर छोटे-बड़े चिड़िया के घोसलों को सजाया गया है। अहम पहलू यह है कि आज के आधुनिक घरों में अब पक्षियों के लिए घोंसला बनाने की जगह कम पड़ रही है, लेकिन अब लोग अपने घर की बालकनी व छत पर इन घोंसलों को लगा सकते है, जिससे पक्षियों को एक आशियाना मिलता है।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 में चंड़ीगढ़ के शिल्पकार मामचंद ने अपनी स्टॉल स्थापित की है। इस स्टॉल पर उन्होंने विशेष रूप से नारियल और जूट से निर्मित किए गए सुंदर-सुंदर गौरैया की घोंसले प्रदर्शित किए है। इन घोंसलों को आकर्षक रूप भी दिया गया है, जो कि वातावरण के अनुकूल हैं। इन घोंसलों की कीमत 100 रुपए है, लेकिन उनके द्वारा 50 फीसदी छूट पर इन घोंसलों की कीमत 50 रुपए तय की गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन घोंसलों को खरीद सके।

शिल्पकार के अनुसार, इन घोंसलों की अच्छी मांग है। ऑनलाइन भी इनकी बिक्री हो रही है और लोगों में गौरैया चिड़िया को बचाने का जुनून बढ़ रहा है। गौरैया के घोंसलों के अलावा उनके स्टॉल पर टेराकोटा का सुंदर-सुंदर सजावटी समान भी उपलब्ध है, जिसकी कीमत 400 रुपए से लेकर 3 हजार रुपए तक निर्धारित की गई है।

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