सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि का अनुमान 6.4% रखा है, जो पिछले वर्ष (2023-24) के 8.2% से कम है। इस अनुमान में मैन्युफैक्चरिंग और निवेश क्षेत्र में संभावित गिरावट को ध्यान में रखा गया है। पिछले चार वर्षों से भारत की जीडीपी ग्रोथ 7% से अधिक रही है, लेकिन अब यह 7% से नीचे जा सकती है।
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मंदी का असर जीडीपी पर पड़ने की संभावना है, जहां इस क्षेत्र की वृद्धि पिछले साल 9.9% से घटकर 5.3% रहने का अनुमान है। इसके अलावा, निवेश वृद्धि भी धीमी हुई है, जो पिछले साल 9% थी, अब घटकर 6.4% हो सकती है।
हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी प्रमुख देशों में सबसे तेज़ी से बढ़ रही है। चीन और जापान की तुलना में भारत की वृद्धि दर बेहतर रहने का अनुमान है, जहां चीन की जीडीपी 4.6% और जापान की 0.9% रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्रालय का मानना है कि 2025 की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि धीमी रहेगी, लेकिन दूसरी छमाही में कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने के साथ ग्रोथ बढ़ सकती है।
GDP को ट्रैक करने का सबसे सामान्य तरीका है इसका आंकलन। इसे दो प्रकारों में बांटा जाता है: रियल और नॉमिनल GDP। रियल GDP स्थिर मूल्य पर होता है, जबकि नॉमिनल GDP वर्तमान मूल्य पर आधारित होता है। GDP को चार मुख्य तत्वों से प्रभावित किया जाता है—उपभोक्ता खर्च, निजी क्षेत्र का निवेश, सरकारी खर्च और नेट एक्सपोर्ट।