Friday, November 22, 2024
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गीतिका शर्मा सुसाइड केस में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा बरी, ये थे संगीन आरोप

एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में दिल्ली की राउज अवेन्यू कोर्ट ने मंगलवारो को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस केस के मुख्य आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अन्य आरोपी अरुणा को भी राहत प्रदान की है।

सिरसा। बहुचर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस में राउज एवेन्यू की एक सेशन कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने गीतिका सुसाइड केस के मुख्य आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। 2012 के इस केस में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा और उनकी कर्मचारी अरुणा चड्ढा आरोपी थे। राउज एवेन्यू की एक सेशन कोर्ट ने 1 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 20 जुलाई को जजमेंट आना था, पर तब तक फैसला छप कर तैयार नहीं हो सका। इस कारण से स्पेशल जज विकास ढुल ने फैसले की घोषणा 25 जुलाई तक के लिए टाल दी थी।

सिरसा में ख़ुशी मनाते हुए समर्थक

11 साल बाद आए इस फैसले पर उनके समर्थकों में खास उत्साह देखने को मिला। सुसाइड केस में बरी होने के बाद गोपाल कांडा के समर्थकों ने शहर में लड्डू बांटे और ढोल की थाप पर नाचते हुए दिखाई दिए। शहर के शू कैंप और शहीद भगत सिंह चौक पर उनके समर्थकों ने कार्यक्रम आयोजित किया। गोपाल कांडा के बरी होने के बाद उनके समर्थकों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाई भी दी।

आखिर क्या है पूरा मामला

5 अगस्त 2012 को 23 साल की गीतिका ने उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के अपने घर में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। गीतिका के पास से पुलिस ने एक 2 पेज का सुसाइड नोट बरामद किया था, जिसमें लिखा था कि गोपाल कांडा और उसका एक कर्मचारी उसका उत्पीड़न कर रहा है, इसलिए वो आत्महत्या कर रही है।आगे सुसाइड नोट में गीतिका ने लिखा कि ‘ मैंने अपनी जिंदगी में गोपाल कांडा से बेशर्म इंसान नहीं देखा, वो हमेशा झूठ बोलता है। वह एक फ्रॉड है और हमेशा लड़कियों के प्रति गलत नजर रखता है। उसकी आदत लड़कियों को प्रताड़ित करने की है। वो हमेशा लड़कियों की ताक में रहता है।

गोपाल कांड के अलावा अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने कंपनी की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद जांच में ये पता चला था कि गीतिका कांडा के यहां नौकरी छोड़ने के बाद दुबई में एमिरेट्स एयरलाइंस में नौकरी लगने की कोशिश कर रही थी, लेकिन गोपाल कांडा ने उस एयरलाइंस को मेल कर लिखा कि,” इस लड़की का चरित्र संदिग्ध है और इस पर धोखाधड़ी का एक मामला चल रहा है,” मेल मे कांडा ने एक फर्जी लुक आउट नोटिस भी लगाया था।

पुलिस ने कर्मचारी अरुण चड्डा को 8 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था। 18 अगस्त 2012 को गोपाल कांडा ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। गीतिका एमडीएलआर एयरलाइंस में एयर होस्टेस थी। बाद में उसे एयरलाइंस के गुरुग्राम के कॉरपोरेट ऑफिस में डायरेक्टर बना दिया गया। 6 महीने बाद गीतिका की मां ने भी आत्महत्या कर ली थी। उस मामले में भी गोपाल कांडा पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ था जबकि कांडा उस समय जेल में थे।

18 महीने जेल में रहने के बाद 2014 में कांडा को जमानत मिल गई थी। रोहिणी कोर्ट में 2014 में आरोप तय किए थे, जज एसके सरवरिया ने आईपीसी की धारा 376,377,306,120B,201,466,468 और 471 के तहत आरोप तय किया था, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के आरोप से गोपाल कांडा को बरी करते हुए 376 और 377 आईपीसी की धाराएं हटा दी थीं।

बता दें गोपाल कांडा 1998 के करीब रेडियो रिपेयर का काम करते थे, फिर कांडा जूते बेचने के कारोबार में आए और फिर रियल एस्टेस के बड़े कारोबारी बन गए। जिसके बाद उन्होंने एविएशन सेक्टर में कदम रखा और यहीं से गीतिका शर्मा की एंट्री हुई। गोपाल कांडा ने साल 2008 में गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस की शुरुआत की। इसी एयरलाइंस में गीतिका शर्मा एयर होस्टेस थी। इसका नाम उन्होंने अपने पिता के नाम ‘मुरलीधर लेखा राम’ (MDLR) के नाम पर रखा था। हालांकि, ये एयरलाइंस साल 2009 में बंद हो गई थी। एमडीएलआर बंद हो चुकी थी पर कंपनी चल रही थी। इसके साथ करीब 40 दूसरी कंपनियां भी चल रही थीं, कांडा की कंपनी में कई लड़कियां थीं। इन्हीं में से एक लड़की थी दिल्ली की गीतिका।

गीतिका शर्मा पर गोपाल कांडा ज्यादा ही मेहरबान थे और महज तीन साल के अंदर वो ट्रेनी से कंपनी की डायरेक्टर की कुर्सी तक पहुंच गई। मेहरबानियां बरसती रहीं और गीतिका तरक्की करती गई, लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि गीतिका, कांडा और उनकी कंपनी दोनों से दूर चली गई। उन्होंने दुबई में नौकरी कर ली, हालांकि, कांडा ने उन्हें दिल्ली वापस आने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली आने के बाद भी कांडा ने गीतिका का पीछा नहीं छोड़ा। आखिरकार गीतिका ने आत्महत्या कर ली।

बता दें गोपाल कांडा हरियाणा की सिरसा सीट से विधायक हैं। गीतिका शर्मा सुसाइड केस में वह 18 माह की जेल में हवा भी खा चुके हैं। 2014 में कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई। वहीं 2019 के चुनाव में सिरसा से जीत के बाद कांडा ने बीजेपी के समर्थन का ऐलान कर दिया। अब कोर्ट के फैसले से गोपाल कांडा को सियासी तौर पर फिलहाल संकट नहीं दिख रहा है। सजा होती तो उनकी विधायकी पर खतरा था। गोपाल कांडा के सियासी कद की बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ उनकी नजदीकियां रही हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार में वह मंत्री बनते हैं तो मनोहर लाल खट्टर की सरकार को भी वह बाहर से समर्थन देते हैं।

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