राजस्थान में नकली खाद बनाने वाले गिरोह का फंडाफोड़ किया गया है। कई फैक्ट्रियों में मार्बल के चूरे और मिट्टी को मिलाकर नकली डीएपी तैयार की जा रही। इस नकली खाद की सप्लाई बिहार, पंजाब, हरियाणा और यूपी में की जा रही थी।
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने नकली खाद बनाने वाले माफियाओं के खिलाफ अजमेर जिले के किशनगढ़ में डिंडवाड़ा, उदयपुरकला, तिलोनियां, नालू और बांदरसिंदरी क्षेत्रों में स्थित फैक्ट्रियों में छापेमारी की।छापेमारी के दौरान फैक्ट्रियों में मार्बल के चूने और मिट्टी को मिलाकर नकली डीएपी, एसएसपी और पोटाश तैयार किया जा रहा था। खेतों और गोदामों में बनी अवैध फैक्ट्रियों में हजारों ब्राण्डे़ड नामों के खाली कट्टे और लेबल मिले। उर्वरकों को ब्राण्डे़ड कम्पनियों के नाम पर पैक किया जा रहा था और इन कट्टों को गांवों में किसानों को बेचने की तैयारी चल रही थी।
कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त खाद, बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी और नकली उर्वरकों पर अंकुश लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाये जाते हैं।
अजमेर जिले में कुल 21 विनिर्माण इकाइयों स्थापित है, जो प्रोम, जैव उर्वरक एवं पोटाश ड्रिराविड फॉर्म मोलासिस आदि निर्माण किया जाता है। इन इकाbयों में से 8 इकाइयां अजमेर के किशनगढ क्षेत्र में स्थापित है।
कृषि मंत्री के निर्देशानुसार गुरूवार और शुक्रवार को किशनगढ क्षेत्र के गांव उदयपुरकलां, तिलोनिया, नालू आदि में स्थापित इकाइयों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अतिशा बायोटेक, चूरली के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाइसेंस है तथा बिना वैद्य लाइसेंस के सागरिका उर्वरक के निम्न गुणवत्ता के उर्वरक बनाये जा रहे थे। फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से 631.47 मैट्रिक टन प्रोम, पीडीएम, सागरिका सीज किया गया एवं 4 नमूने लिए गए। ट्रोपिकल एग्रो सिस्टम इकाई के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाइसेंस है परन्तु फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से 246.01 मेट्रिक टन प्रोम एवं अन्य अवयवों को सीज कर 2 नमूने लिए गए।
इसी प्रकार दिव्या एग्रो फर्टीलाइजर इंडस्ट्रीज इकाई के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाइसेंस है तथा बिना वैध लाइसेंस के सागरिका उर्वरक के निम्न गुणवत्ता के उर्वरक बनाये जा रहे थे।
फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से अमानक क्वालिटी के 879.85 मै.टन प्रोम, पीडीएम, सागरिका आदि को सीज किया जा रहा है। भूमि एग्रो इंडस्ट्रीज, उदयपुर कलाँ इकाई के पास जैव उर्वरकों के विनिर्माण का लाइसेंस है। अवैद्य विनिर्माण रॉ मेटेरियल एवं जिप्सम मिलने के कारण 1750 मेट्रिक टन अवयव जिप्सम आदि सीज कर जांच के लिए नमूने लिए गए है। मैसर्स गोरधन एग्रो, उदयपुर कलाँ के पास प्रोम का लाइसेंस है। अवैद्य विनिर्माण रॉ मेटेरियल एवं जिप्सम मिलने के कारण 77.50 मेट्रिक टन अवयव जिप्सम आदि सीज किये गये है।
टिकावड़ा में तीन फैक्ट्रियों में प्रोम, पोटाश ड्रिराविड मोलासिस का रॉ मेटेरियल होने के संदेह में सीज कर दी गई, आगामी कार्यवाही की जा रही है तथा फैक्ट्रियां सीज की गई है। आज शुक्रवार को मैसर्स ग्रीन एग्रो इण्डस्ट्रीज एवं राधिका एग्रो इण्डस्ट्रीज बांदरसिदरी पर कार्रवाई प्रगति पर है।
बता दें कि गुरुवार को 8 इकाइयों पर उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 की धारा 28 (1)(डी) के तहत सीज की कार्रवाई की गई तथा शुक्रवार को 2 वैद्य इकाइयों पर कार्रवाई प्रगतिरत है। स्थानीय अधिकारियों सहित राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा मौके पर उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार लगभग 2798.04 मैट्रिक टन विभिन्न उर्वरक को सीज कर वैधानिक कार्यवाही एवं नमूना आहरण की कार्रवाई की जा रही है। इस क्षेत्र में शेष इकाईयों की जांच प्रगति पर है।