हाल ही में लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन के बयान ने काम के घंटों को लेकर बहस छेड़ दी है। उन्होंने अपने कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी, जिससे कई लोग इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। इस संदर्भ में यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत में काम के घंटों के बारे में क्या नियम हैं और लेबर लॉ इस मामले में क्या कहता है।
भारत में काम के घंटों को लेकर फैक्ट्रियों एक्ट, 1948 में स्पष्ट नियम हैं। इसके तहत एक दिन में 9 घंटे और हफ्ते में 48 घंटे तक काम करने की अनुमति है। 9 घंटे की शिफ्ट के दौरान कर्मचारियों को एक घंटे का भोजन ब्रेक मिलना आवश्यक है। इसके अलावा, हफ्ते में एक अवकाश भी अनिवार्य है।
ओवरटाइम के संदर्भ में, यदि कोई कर्मचारी 48 घंटे से अधिक काम करता है, तो उसे अतिरिक्त घंटों के लिए दोगुना भुगतान मिलना चाहिए। हालांकि, एक हफ्ते में 60 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता। इसके अलावा, यदि कोई कर्मचारी फैक्ट्री में 5 घंटे से ज्यादा काम करता है, तो उसे कम से कम आधे घंटे का ब्रेक देना अनिवार्य है।
यदि कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर फैक्ट्री एक्ट, 1948 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत कंपनी पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना, मालिक को एक साल की सजा, या दोनों हो सकते हैं।
अगर किसी कंपनी द्वारा ओवरटाइम का भुगतान न किया जाए, तो कर्मचारी को स्थानीय पुलिस या राज्य सरकार के लेबर कोर्ट में शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।