हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में बिजली निगम की खामियों के चलते शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने पाया कि बिजली निगम की लापरवाही के चलते भिवानी निवासी श्री ओम प्रकाश को वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम के तहत कृषि कनेक्शन की लोड बढ़ाने की सुविधा से वंचित होना पड़ा।
निगम के प्रवक्ता ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने जांच में पाया कि श्री ओम प्रकाश द्वारा 13 जुलाई 2024 को लोड बढ़ाने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन बिजली विभाग द्वारा उनके नाम पर 28,000 रुपये की बिजली चोरी की राशि लंबित दिखाकर आवेदन रद्द कर दिया गया। बाद में जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बिजली चोरी उनके भाई श्री वेद प्रकाश द्वारा की जा रही थी, जिन्होंने ट्रांसफार्मर से डायरेक्ट सप्लाई ली थी। इसके बावजूद, जुर्माना राशि श्री ओम प्रकाश के खाते में ही दर्ज रही, जबकि उपयोगकर्ता श्री वेद प्रकाश ने 26 सितंबर 2024 को यह राशि जमा कर दी थी।
प्रवक्ता ने बताया कि इसके बावजूद विभाग द्वारा उक्त राशि को रिकॉर्ड में अपडेट नहीं किया गया, जिससे शिकायतकर्ता को लोड बढ़ाने की वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम योजना का लाभ नहीं मिल पाया। आयोग ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(h) के अंतर्गत मुआवजा देने का आदेश जारी किया है।
आयोग ने निर्देश दिए हैं कि मुआवजा भुगतान के लिए श्री ओम प्रकाश अपने बैंक विवरण संबंधित अधिकारियों को 25 अप्रैल 2025 तक उपलब्ध कराएं। आयोग ने विद्युत विभाग को निर्देश दिए हैं विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध आंतरिक जांच कर दोषी पाए जाने पर उक्त राशि की वसूली भी सुनिश्चित की जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि आदेश की अनुपालना की सूचना एवं प्रमाण आयोग को निर्धारित समयावधि में उपलब्ध कराएं।