Friday, June 6, 2025
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खपत के आधार पर जारी किया बिजली बिल, अब उपभोक्ता को मिलेगा 2 हजार रुपए का मुआवजा

चंडीगढ़ : हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने बिजली बिल से संबंधित एक शिकायत की सुनवाई करते हुए उपभोक्ता को हुई मानसिक और आर्थिक परेशानी के मद्देनजर 2 हजार रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

आयोग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि महेंद्रगढ़ निवासी मदन लाल ने 16 फरवरी 2025 को औसत बिलिंग के आधार पर तीन वर्षों तक बिजली बिल जारी किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में आयोग ने 27 मई 2025 को प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकारी-कम-एसडीओ (ऑपरेशन), सब-डिवीजन (बिजली), बूचावास तथा डीओ-कम-सीए (ऑपरेशन), सब-डिवीजन (बिजली), बूचावास को निर्देश दिए थे कि वे मामले की जांच कर 2 जून 2025 तक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

उन्होंने बताया कि इस शिकायत पर सुनवाई 4 जून 2025 को हरियाणा सेवा आयोग के मुख्य आयुक्त श्री टी.सी. गुप्ता की अध्यक्षता में हुई, जिसमें संबंधित विभागीय अधिकारी एवं शिकायतकर्ता उपस्थित थे। सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि सितंबर 2022 से मार्च 2024 तक शिकायतकर्ता को औसत खपत के आधार पर अत्यधिक बिजली बिल जारी किए गए थे। मीटर को फरवरी 2024 में बदला गया, जिसके बाद वास्तविक खपत के आधार पर बिल भेजे गए।

हालांकि विभाग द्वारा बिलों की समीक्षा कर 36 हजार 830 रुपये की राशि मई 2025 के बिल में उपभोक्ता को समायोजित कर दी गई थी और द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकारी द्वारा 500 रुपये का मुआवजा भी प्रदान किया गया था, फिर भी आयोग ने देरी और मानसिक परेशानी को गंभीरता से लेते हुए मुआवजा राशि बढ़ाकर 2 हजार रुपये कर दी है। यह राशि निगम के फंड से दी जाएगी, जिसे संबंधित एम.आर. एजेंसी या दोषी अधिकारियों से वसूला जाएगा। यह राशि उपभोक्ता के आगामी बिल में समायोजित की जाएगी या सीधे उसके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने यह भी पाया कि शिकायत की आरटीएस समय-सीमा 25 फरवरी 2025 को समाप्त हो गई थी, जबकि पहली अपील (ऑटो अपील) 4 अप्रैल 2025 को दर्ज की गई, जो कि 26 फरवरी 2025 को स्वतः दर्ज हो जानी चाहिए थी। इस तकनीकी गड़बड़ी के लिए आयोग ने एएएस पोर्टल का संचालन कर रहे एनआईसी के आईटी निदेशक को 16 जून 2025 तक स्पष्टीकरण देने और सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

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