चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की हैं कि हाल ही में आई बाढ़, जल भराव और भारी वर्षा के कारण प्रभावित किसानों की सुविधा को देखते हुए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 10 सितंबर 2025 तक खुला रखा जाएगा। इससे 12 जिलों के 1402 गांवों के किसान खरीफ 2025 के दौरान हुई फसल क्षति का पंजीकरण कर सकेंगे। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल से प्राप्त ताज़ा आंकड़ों के अनुसार अब तक कुल 38,286 किसानों ने अपनी फसल क्षति का दावा दर्ज कराया है। पंजीकृत कुल क्षेत्रफल 2,42,945.15 एकड़ तक पहुँच चुका है।
खरीफ 2025 में फसल क्षति पंजीकरण के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू में 7 जिलों के 188 गांवों के लिए खोला गया था, जिनमें रोहतक के 21, हिसार के 85, चरखी दादरी के 13, पलवल के 17, सिरसा के 2, भिवानी के 43 और रेवाड़ी के 7 गाँव शामिल थे। इसके बाद इसका दायरा बढ़ाकर 12 जिलों के 1402 गांवों तक कर दिया गया। इनमें शामिल हैं – रोहतक (41), हिसार (86), चरखी दादरी (34), पलवल (59), सिरसा (6), भिवानी (43), रेवाड़ी (7), कुरुक्षेत्र (75), यमुनानगर (600 – सभी गाँव), नूंह (166), फतेहाबाद (21) और झज्जर (264 – सभी गाँव)। अब इन 12 जिलों के सभी प्रभावित किसान 10 सितंबर 2025 तक अपने दावे पोर्टल पर दर्ज करा सकेंगे।
जिला राजस्व अधिकारी पोर्टल के माध्यम से प्राप्त दावों का सत्यापन विशेष गिरदावरी के रूप में करेंगे। इन आकलनों के आधार पर निर्धारित मानकों के अनुसार किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाएगा। प्रवक्ता ने किसानों से अपील की कि वे बढ़ी हुई समयसीमा का लाभ उठाते हुए जल्द से जल्द फसल क्षति का पंजीकरण करें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के मानकों के तहत बाढ़, पानी भराव और भारी वर्षा की घटनाएँ ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दावा पंजीकरण के लिए मान्य हैं। प्रभावित किसानों द्वारा दावा दर्ज कराने के बाद पटवारी, कानूनगो, सर्कल रेवेन्यू ऑफिसर, डीआरओ, एसडीओ (सी), उपायुक्त और मंडल आयुक्त स्तर तक राजस्व अधिकारी फसल क्षति का आकलन करेंगे और मुआवजा जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।