Tuesday, December 10, 2024
HomeहरियाणारोहतकRohtak PGIMS के चिकित्सक डाॅ. योगेंद्र मलिक को मिला डाॅ. जीसी बोरल...

Rohtak PGIMS के चिकित्सक डाॅ. योगेंद्र मलिक को मिला डाॅ. जीसी बोरल अवॉर्ड

Rohtak News : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (PGIMS) के मनोरोग विभाग के चिकित्सक डाॅ. योगेंद्र मलिक को 4 से 6 नवंबर तक मैसूर में आयोजित 30वें राष्ट्रीय सम्मेलन भारत एसोसिएशन ऑफ सोशल साइकियाट्री में रिसर्च प्रस्तुत करने पर डाॅ. जीसी बोरल अवार्ड से नवाजा गया है।

डाॅ. योगेंद्र मलिक की उपलब्धि पर कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना, कुलसचिव डाॅ.एच.के. अग्रवाल, निदेशक डाॅ. एस.एस. लोहचब, आईएमएच के निदेशक कम सीईओ डाॅ. राजीव गुप्ता, डीन एकेडमिक अफेयर्स डाॅ. ध्रुव चौधरी, डाॅ. सुजाता सेठी ने डाॅ. योगेंद्र को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने यह अवार्ड प्राप्त करके संस्थान का नाम रोशन किया है।

अपनी इस उपलब्धि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डाॅ. योगेंद्र मलिक ने बताया कि गत दिवस मैसूर में आयोजित 30वें राष्ट्रीय सम्मेलन भारत एसोसिएशन ऑफ सोशल साइकियाट्री का आयोजन किया गया था। जिसमें उन्होंने डाॅ. राजीव गुप्ता व डाॅ. सुजाता सेठी के मार्गदर्शन में एक गुणात्मक अनुसंधान प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था युवा आत्महत्या के प्रति दृष्टिकोण – तृतीय देखभाल सुविधा में चिकित्सा समुदाय का दृष्टिकोण। इसे सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान होने के नाते, इसे आईएएसपी का प्रतिष्ठित डॉ. जीसी बोरल अवार्ड से नवाजा गया।

डाॅ. योगेंद्र मलिक ने बताया कि अपनी रिसर्च के दौरान मेडिकल छात्रों ने मानसिक स्वास्थ्य संघर्ष, तनाव, कलंक और शैक्षणिक दबाव को युवा आत्महत्या को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों के रूप में पहचाना। आत्महत्या दरों में लिंग-आधारित अंतररू मेडिकल छात्रों ने पुरुष आत्महत्याओं के उच्च कथित प्रचलन को देखा, इसके लिए अवसाद, भावनात्मक बोझ और पारिवारिक जिम्मेदारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दहेज के मुद्दों, पारिवारिक समर्थन की कमी और साइबर बुलिंग जैसे कारकों को भी उजागर किया जो युवा महिलाओं की आत्महत्या दरों को प्रभावित करते हैं।

डाॅ. योगेंद्र मलिक ने बताया कि मेडिकल छात्रों ने संकट के दौरान बात करने के लिए एक गैर-न्यायिक व्यक्ति की आवश्यकता व्यक्त की, जो समझ और सहानुभूतिपूर्ण समर्थन के लिए प्राथमिकता दर्शाता है। कुछ छात्रों ने महसूस किया कि आत्महत्या के बारे में सोचने वाले व्यक्ति अधिकांश प्रकार की सहायता को अस्वीकार कर सकते हैं, खासकर अगर वे अलग-थलग या निराश महसूस करते हैं। वहीं मेडिकल छात्रों ने पालतू जानवरों को पालने, नए शौक तलाशने और तनाव को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ब्रेक लेने जैसी विविध मुकाबला नीतियों का सुझाव दिया।

डाॅ. राजीव गुप्ता ने बताया कि रिसर्च में युवा आत्महत्या को रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा, विशेष रूप से माता-पिता की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। आत्महत्या को रोकने के लिए शैक्षणिक दबाव को कम करने, शिक्षा प्रणाली में सुधार करने और व्यक्तिगत प्रतिभाओं को मान्यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डाॅ. सुजाता सेठी ने बताया कि इसमें आत्महत्या के खिलाफ एक सुरक्षात्मक कारक के रूप में आध्यात्मिक विकास पर प्रकाश डाला, यह सुझाव देते हुए कि आध्यात्मिकता और उद्देश्य को बढ़ावा देना फायदेमंद हो सकता है। आत्महत्या के विचार वाले व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने में परिवार, मित्रों और भावनात्मक सहायता के महत्व की ओर इशारा किया।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -

Most Popular