Tuesday, December 3, 2024
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रोहतक PGIMS में डाॅ. सुजाता सेठी बोली – मेंटल हेल्थ को ना लें हल्के में, तुरंत चिकित्सक की लें राय

रोहतक। आजकल के समय में स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या लोगों के बीच काफी आम हो गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे काम का प्रेशर, फाइनेंशियल दिक्कत या रिलेशनशिप में होने वाली समस्याएं। डिप्रेशन एक मेंटल डिस्ऑर्डर है जिसके कारण व्यक्ति खुद को उदास, निराश और मूल्यहीन महसूस करने लगता है। डिप्रेशन के कारण किसी भी व्यक्ति के दैनिक जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। यह कहना है पीजीआईएमएस की मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ. सुजाता सेठी का। वें सोमवार को पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज में दैनिक जीवन में मनोवैज्ञानिक कल्याण विषय पर आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान दें रहीं थी।

इस अवसर पर विद्यार्थियों व चिकित्सकों को संबोधित करते हुए डाॅ. सुजाता सेठी ने कहा कि मेंटल हेल्थ माह मनाए जाने के पीछे का मकसद लोगों को इस विषय पर लोगों को जागरुक करना है। बहुत से लोग डिप्रेशन और तनाव को छोटी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं का भी कारण बन सकती है। यह एक बेहद गंभीर समस्या है, जिसके चलते सालभर में सैकड़ों लोग आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं। डाॅ. सुजाता सेठी ने बताया कि किसी भी प्रकार का मेंटल डिसऑर्डर होने पर उसे हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सक की राय लें ताकि समय रहते ही समस्या को पकड़ा जा सके।

चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कुंदन मित्तल ने कहा कि आजकल के समय में स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या लोगों के बीच काफी आम हो गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे काम का प्रेशर, फाइनेंशियल दिक्कत या रिलेशनशिप। डिप्रेशन एक मेंटल डिस्ऑर्डर है जिसके कारण व्यक्ति खुद को उदास, निराश और मूल्यहीन महसूस करने लगता है। डाॅ. कुंदन मित्तल ने कहा कि इस सप्ताह को मनाने का उद्देश्य आमजन को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए योग, ध्यान, अच्छी नींद, संतुलित आहार, व्यायाम आदि का महत्व बताया जा रहा है।

प्राचार्य डाॅ. संजय तिवारी ने मनोरोग विभाग द्वारा उनके संस्थान में व्याख्यान आयोजित करने पर डाॅ. सुजाता सेठी व उनकी टीम का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य आमजन का मौलिक अधिकार है। मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है।

डाॅ. तिवारी ने कहा कि तनाव, चिंता और अवसाद या फिर किसी भी तरह की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या मानसिक रोगों की श्रेणी में आता है। मानसिक रोगी की मनोदशा और स्वास्थ्य का असर उसके स्वभाव में देखने को मिलता है। डाॅ. तिवारी ने बताया कि बहुत लोगों को लगता है कि वह अवसाद की स्थिति से जूझ रहे हैं, लेकिन वह अपने परिवार व दोस्तों से इसका जिक्र नहीं करते क्योंकि कहीं ना कहीं आज भी मानसिक बीमारी हमारे देश एक वर्जित विषय के तौर पर देखा जाता है जबकि हमें लक्षण नजर आने पर तुरंत अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

डाॅ. मंजू राणा ने बताया कि लगातार उदास रहना, मूड का बार-बार बदलना, असामान्य बर्ताव करना, अचानक से गुस्सा होना और अचानक से हंसना, घबराहट या दर्द होना आदि मानसिक रोग के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि तनाव क्या है, उसके प्रकार क्या हैं और कारण क्या हैं और हम खुद को तनाव मुक्त कैसे रख सकते हैं।

डाॅ. वैशाली ने मनोरोग तनाव के संकेतों और लक्षणों पर व्यापक प्रस्तुति दी और तनाव प्रबंधन पर अपने दृष्टिकोण से चर्चा को समृद्ध बनाया।
कार्यक्रम में आने पर डाॅ. शिखा तिवारी ने सभी को पौधा भेंट करके स्वागत किया। मंच का संचालन डाॅ. आदर्श ने किया वहीं डाॅ. भावना ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद व्यक्त किया।

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