रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑपरेशन सिंदूर के बाद गुरुवार को पहली बार जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने यहां बहादुर जवानों से मुलाकात की। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बादामी बाग कैंट में रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना के वीर जवानों को संबोधित करते हुए कहा, भारत ने हमेशा शांति को प्राथमिकता दी है और कभी भी युद्ध का समर्थन नहीं किया है, हालांकि, जब इसकी संप्रभुता पर हमला होता है, तो इसका जवाब देना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन जारी रखता है, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ इतिहास में भारत द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई बताया और इसे आतंकवाद को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाने की देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा न केवल रक्षा करने, बल्कि जरूरत पड़ने पर साहसिक फैसले लेने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हर सैनिक का सपना था कि हम हर आतंकवादी ठिकाने तक पहुंचेंगे और उन्हें नष्ट करेंगे। आतंकवादियों ने भारतीयों को उनके धर्म के आधार पर मारा, लेकिन हमने उन्हें उनके कृत्यों के लिए मारा। उन्हें समाप्त करना हमारा धर्म था। हमारी सेना ने अपने गुस्से को सही दिशा दी और पहलगाम का बदला बहुत साहस और सूझबूझ के साथ लिया।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सेनाओं ने दुनिया को दिखा दिया है कि उनका निशाना सटीक और कारगर है तथा गिनती का काम दुश्मनों पर छोड़ दिया गया है।”
पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेल की धमकी से भारत विचलित नहीं हुआ
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेल की धमकी से भारत विचलित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान ने कितनी गैरजिम्मेदारी से कई बार भारत को परमाणु धमकियां दी हैं। उन्होंने कहा, “मैं दुनिया के सामने यह सवाल उठाता हूं: क्या ऐसे गैरजिम्मेदार और दुष्ट देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में लिया जाना चाहिए।”
आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते
राजनाथ सिंह ने दोहराया कि सीमा पार से कोई भी अनुचित कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, जो दोनों देशों के बीच बनी सहमति का आधार है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को दोहराया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, और अगर बातचीत होगी, तो वह केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर होगी।
रक्षा मंत्री ने पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने घायल सैनिकों के साहस की सराहना करते हुए उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
‘हमें अपनी सेनाओं पर गर्व है’
राजनाथ सिंह ने सीमा पार पाकिस्तानी चौकियों और बंकरों को नष्ट करने वाले बहादुर सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिससे दुश्मन को स्पष्ट संदेश मिल गया है। उन्होंने कहा, “मैं आज भारत के लोगों का संदेश लेकर यहां आया हूं: ‘हमें अपनी सेनाओं पर गर्व है’।