Thursday, September 19, 2024
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Raksha Bandhan 2024 : मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया रक्षाबंधन का पर्व

Raksha Bandhan 2024 : सावन के अंतिम सोमवार पर रोहतक शहर के प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारों से गुंजायमान रहे। श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ का गंगाजल, बेलपत्र,धतूरा और दुग्ध से स्नान कराकर सुख समृद्धि की कामना की ।

वहीं  माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री व परमश्रद्धेया साध्वी मानेश्वरी देवी के पावन सानिध्य में सोमवार को आपसी प्रेम, भाईचारे , भाई-बहन के अटूट प्यार और रिश्ते का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन धूमधाम और हर्षोल्लास से मना। भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह से परमश्रद्धेया साध्वी मानेश्वरी देवी की कलाई पर राखी बांधकर व तिलक कर पूजा-अर्चना की और सुख-समृद्धि, दीर्घायु के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात प्रसाद वितरित हुआ। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।

परमश्रद्धेया मानेश्वरी देवी ने बताया कि यह हमें एक दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाता है और हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है। उन्होंने रक्षाबंधन पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि यह पर्व सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा को मासिक यज्ञ की पूर्ण आहूति होती थी। यज्ञ की समाप्ति पर यजमानों व शिष्यों को रक्षासूत्र में बांधने की प्रथा थी, इसलिए इसका नाम रक्षाबंधन प्रचलित हुआ।

उन्होंने कहा कि कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हुए ब्राह्मण मंत्र का उच्चारण करते थे, जिसमें कहा जाता था कि रक्षा के जिस साधन से अति-बली राक्षस राज बली को बांध गया था, उसी से मैं तुम्हें बांधता हूं और तुम अपने कर्तव्य पथ से न डिगना और इसकी सब प्रकार से रक्षा करना। इस प्रकार आज बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र में बांधती हैं ताकि भाई अपनी बहनों की रक्षा करें।

साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी। इसे देखकर द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण उनके हाव-भाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने यह वादा तब पूरा किया जब द्रौपदी को हस्तिनापुर के शाही दरबार में सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा और उसकी रक्षा की।

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