शांतिप्रकाश जैन.रोहतक : लगभग 10 वर्षों से हरियाणा में कांग्रेस संगठन का संगठनात्मक ढांचा न खड़ा होने के कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में मायूसी का माहौल बन चुका है। जिसका परिणाम यह रहा कि लोकसभा चुनाव और 3 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
कांग्रेसी कार्यकर्ता इस उम्मीद में लगे रहे कि उन्हें संगठन में कोई पद मिल जाएगा लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी जिसके चलते वो कोई सक्रिय भूमिका निभाने से दूर रहे क्योंकि उनमें उत्साह उत्पन्न नहीं हुआ। जबकि हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा ने अपना संगठनात्मक ढांचा बूथ स्तर तक खड़ा किया। जिसके चलते भाजपा कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर भारी उत्साह था। इसलिए प्रदेश में तीसरी बार भाजपा सरकार सता में काबिज हो गई।
डॉ. अशोक तंवर, कुमारी शैलजा और उदयभान भी कांग्रेस संगठन के चुनाव करा पाने में असमर्थ रहे है। डॉ. अशोक तंवर लगभग 4 साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस संगठन के ढांचे को खड़ा करने के प्रयास किए लेकिन प्रदेश के एक नेता के कारण यह संभव नहीं हो पाया। यही नहीं अशोक तंवर को तो गुलाबी गैंग से दो- दो हाथ भी करने पड़े।
आखिर अंत में डॉ. अशोक तंवर को निराश होकर कांग्रेस छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। डॉ. अशोक तंवर के बाद कांग्रेस उच्च कमान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को प्रदेश की बागडोर संभलवा दी। उन्होंने भी कई वर्षों तक कांग्रेस का संगठन ढांचा खड़े करने की कोशिश की लेकिन वो भी अपने इस प्रयास में असफल सिद्ध हुईं।
कुमारी शैलजा के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास नेता उदयभान को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया लेकिन 2 साल व्यतीत हो जाने के बाद भी वो भी प्रदेश में कांगेस का संगठनात्मक ढांचा खडा करने में सफल नहीं हो पाएं।
यही नहीं कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री ने तो रोहतक में प्रेसवार्ता करके कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस संगठन नहीं खड़ा किया तो आगामी होने वाले निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है।
सक्रिय कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मांग है कि प्रदेश में अगर कांग्रेस ने कुछ दिनों में आगामी चुनाव में सफलता प्राप्त करनी है तो अतिशीघ्र प्रदेश संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो जाना चाहिए।