Saturday, November 23, 2024
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यमुना मैया कारी-कारी, दूषित जल दे रहा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी…

कविता,फरीदाबाद। जीवनशैली में आए बदलाव के कारण दुनिया भर में कैंसर एक भयानक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। जिसका मुख्य कारण दिल्ली से मथुरा के बीच स्थित सवा सौ किलोमीटर के दरम्यान जीवनदायिनी यमुना नदी को फरीदाबाद में सबसे ज्यादा प्रदूषित होना बताया जा रहा है।

जांच के दौरान नदी के जल में कैडमियम और लेड जैसी जहरीली धातु पाई गई है, जो कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का वाहक है। हालांकि केन्द्र सरकार के द्वारा वर्ष 2020 तक यमुना साफ करने का दावा पूरी तरह से फेल हो गया। ऐसे में अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में आदेश तो पारित कर दिए, कि यमुना को साफ किया जा किया जाए, लेकिन अभी तक भी यमुना में साफ सफाई का कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिसके कारण फरीदाबाद, पलवल, समेत यमुना किनारे बसे जिले के अधिकतर गांवों में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार सामने आ रही है।

यह है सच्चाई 

दिल्ली के ओखला से मथुरा तक 35 स्थानों पर यमुना नदी के पानी का लिए गए सैंपल में सबसे ज्यादा प्रदूषण की मात्रा फरीदाबाद में पाई गई है। फरीदाबाद में नदी के पानी में कैडमियम की मात्रा 0.1 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है, जो कि निर्धारित मानक से 10 गुना ज्यादा है। इसके अलावा ओखला में नदी के पानी में चार गुना ज्यादा कैडमियम और लेड पाए गए हैं। इसी तरह मथुरा में भी नदी के पानी में चार गुना ज्यादा ये जहरीले धातु पाए गए हैं। यह उस क्षेत्र के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। जसोला के पास, बदरपुर स्थित बिजली संयंत्र का गंदा पानी, पल्ला पुल के पास गंदा नाला का पानी, फरीदाबाद के सेक्टर 31 और सेक्टर तीन से गुजरते गंदे नाले का पानी यमुना में गिरता है। फरीदाबाद में लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। शहर में स्थित केमिकल फैक्टरियों का गंदा पानी भी इन नालों के जरिए नदी में जा रहा है। जिसे देखते हुए यमुना जल को प्रदूषण से मुक्त करवाने के लिए केन्द्र समेत हरियाणा सरकार को साफ सफाई का कार्य सौंपा था। लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी है।

यमुना रक्षक दल

यमुना रक्षक दल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. आरएन सिंह ने कहा कि चुनावों में इस बार यमुना मैया को साफ सफाई का मुद्दा समाप्त कर दिया गया। जबकि केन्द्र के सीएम केजरीवाल ने तो चुनावों तक यमुना को साफ करने की कसम तक खाई थी, लेकिन अब चुनाव होने पर भी यमुना की साफ सफाई करोड़ों रुपये खर्च करके भी नहीं हो सकती है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई सुनवाई से पहले इसे साफ करने के निर्देश जारी किए है। लेकिन अभी तक यमुना मैया की सफाई नाममात्र की ही हुई है।

फरीदाबाद में झाड़सेतली की स्थिति :

जिले का झाड़सेतली गांव करीब 25 हजार से अधिक की आबादी से बसा हुआ है। यहां कैंसर से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 50 हो चुकी है। इस गांव में कैंसर फैलने का मुख्य कारण इस गांव में फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त पानी से कैंसर फैलना बताया जा रहा है, जिस कारण लोगों की मौते हो रही है। जिसे देखते हुए एनजीटी ने गांव से सटे सेक्टर-58 में चल रही दर्जनों फैक्ट्रियों को नोटिस जारी करके जवाब देने के लिए कहा था। वहीं इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बल्लभगढ़, नगर निगम, बिजली निगम को भी नोटिस जारी किया गया था। लेकिन अब यह मामला पूरी तरह से ठंडे बस्ते में सिमट गया है। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्रियों की ओर से खतरनाक केमिकल खुले में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद यह केमिकल धीरे धीरे रिस कर जमीन के भीतर लगे हुए बोरवेल में पहुंच गया। गांव के लोग पीने के लिए बोरवेल का पानी प्रयोग करते हैं, जिससे यह खतरनाक केमिकल सीधा लोगों के शरीर घुस रहा है और लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं।

 

झाड़सेतली में इन लोगों की मौत

सतवीर डागर ने बताया कि पिछले 12 वर्षों में करीब 50 लोगों की कैंसर के कारण मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि मरने वालों में दो उनके चचरे भाई शामिल थे। उनका कहना है कि इस बारे में एनजीटी को गई बार शिकायत की है। उन्हें मरने वाले ग्रामीणों की सूची सौंपी गई है। ग्रामीणों ने बताया कि पीने का पानी हमारे के लिए जहर बन गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करने के लिए कई बार शिकायत दी गई है, लेकिन बोर्ड के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले छह  वर्ष के दौरान कई लोग कैंसर की चपेट में आ गए हैं। कैंसर इतनी तेजी से फैल रहा है कि लोगों में भय की स्थिति बन गई है। एनजीटी से कार्रवाई की गुहार लगाई गई है। इसी गांव से लगते हुए भनकपुर गांव के पूर्व सरपंच सचिन ने बताया कि इस कैमिकल युक्त पानी का असर हमारे यहां भी देखने को मिल रहा है। यहां भी कैंसर के रोगी धीरे-धीरे सामने आ रहे है। जिसके लिए एनजीटी को शिकायत की गई है।

 

फरीदाबाद के तिलपल की स्थिति

जिले के गांव तिलपत भी कैंसर की चपेट में है। ग्रामीणों का दावा है कि गांव के हर पांचवें घर में एक कैंसर का मरीज है। गांव के लोग इसकी वजह गांव के दूषित पानी और मोबाइल टावर को बताते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 20 साल पहले गांव में कोई बीमारी नहीं होती थी। यहां पीने का पानी साफ था। धीरे-धीरे गांव के आसपास कई डाइंग यूनिटें लग गईं। कुछ लोगों ने पैसों के लालच में घर की छतों पर मोबाइल टावर लगवा लिया। इसके बाद गांव में लगातार कैंसर के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। गांव का पानी ठीक न होने के कारण कुछ लोग गांव छोडकर दूसरी जगह जा रहे हैं। गांव में करीब एक दर्जन से अधिक डाइंग यूनिट में खुल गईं। इनमें कपड़ा प्रिटिंग का काम होता है। ऐसे में पानी की ज्यादा जरुरत के लिए कंपनी संचालकों ने कंपनी के अंदर ही सबमर्सिबल लगाए हुए हैं। साथ ही पानी निकासी के लिए यहां एसटीपी के नियमों का कोई पालन नहीं किया जा रहा है। कंपनी संचालक डाइंग यूनिटों से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीट किए जमीन में डाल रहे हैं। यह कैमिकल युक्त पानी ग्राउंड वॉटर को प्रदूषित कर रहा है। गांव के सरपंच ने कहा कि कैंसर की बीमारी गांव में काफी बढ़ रही है। इसकी जांच होनी चाहिए।

प्रतिवर्ष प्रदेश में बढ़ रहे कैंसर रोगी

  • वर्ष            रोगी
  • 2018  –      27665
  • 2019 –       28453
  • 2020 –       29219
  • 2021  –      30015
  • 2022  –      30851
  • 2023   –     31679
  • 2024   –     32513
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