CBSE Exam: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई 10वीं बोर्ड की परीक्षा को और अधिक छात्रों के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए दो बार परीक्षा कराने के मसौदे को मंजूरी दी गई है जिससे छात्रों की सफलता दर और अधिक बढ़ जाएगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने मंगलवार को 2026 से साल में दो बार कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा आयोजित कराने के मसौदे को मंजूरी दे दी। अधिकारियों के अनुसार मसौदा को सीबीएसई की वेबसाइट पर डाल दिया गया है ताकि लोग उसपर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें। इससे जुड़े लोग या संस्थान 9 मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
कब-कब होगी परीक्षा?
बोर्ड की तरफ से आयोजित परीक्षा कब होंगी, छात्रों के बीच ये एक बड़ा सवाल है. बताते चलें कि पहली परीक्षा का आयोजन 17 फरवरी से लेकर 6 मार्च 2026 तक होगा। जबकि दूसरी परीक्षा 5 मई से 20 मई 2026 तक आयोजित की जाएगी।
सिलेबस में क्या होगा?
एक बड़ा सवाल छात्रों के मन में ये भी है कि परीक्षा का सिलेबस कैसे होगा। तो हम आपको क्लियर कर दें कि दोनों ही पूरी पाठ्यपुस्तकों और सिलेबस के आधार पर होंगी। जबकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं की परीक्षा एक ही दिन होगी।
As per the recommendations of the National Education Policy 2020, students will have an opportunity to improve their performance in Board Examinations.
A meeting chaired by Hon’ble Minister of Education discussed:
1️⃣ From 2025-26, two Board Examinations will be conducted for… pic.twitter.com/sUI6pvEklK
— CBSE HQ (@cbseindia29) February 26, 2025
कहां होगा एग्जाम सेंटर?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहली और दूसरी दोनों ही परीक्षा के लिए एग्जाम सेंटर सामान ही रहेगा।
कब जारी होगी फाइनल मार्कशीट
प्रैक्टिकल और इंटरनल असेसमेंट पूरे साल में सिर्फ एक बार होगा. अलग से दो मार्कशीट नहीं दी जाएंगी। अंतिम मार्कशीट केवल मई परीक्षा के बाद जारी होगी। अगर छात्र दोनों परीक्षाएं देते हैं, तो उनके बेहतर अंक फाइनल मार्कशीट में जोड़े जाएंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि अधिक लचीलापन, छात्र की पसंद और दो प्रयासों में से सर्वश्रेष्ठ अंकों को लेने के अलावा, क्षमताओं का परीक्षण करने वाले मूल्यांकन सभी बोर्ड परीक्षाओं में तत्काल प्रमुख सुधार होने चाहिए।
बोर्ड समय के साथ परीक्षाओं के और अधिक व्यवहार्य मॉडल भी विकसित कर सकते हैं जो दबाव और कोचिंग संस्कृति को कम करते हैं। कुछ संभावनाओं में वार्षिक/सेमेस्टर/मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षाओं की एक प्रणाली विकसित की जा सकती है। ताकि प्रत्येक परीक्षा बहुत कम सामग्री वाली हो और स्कूल में संबंधित पाठ्यक्रम लेने के तुरंत बाद ली जाए ताकि परीक्षाओं का दबाव बेहतर ढंग से वितरित हो।