रोहतक। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान द्वारा चौधरी रणबीर सिंह ओपीडी में पोस्टर प्रदर्शन के माध्यम से डायबिटिक रेटिनोपैथी के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना, विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डाॅ.एच.के. अग्रवाल, निदेशक डाॅ.एस.एस. लोहचब, चिकित्सा अधीक्षक डाॅ.कुंदन मित्तल उपस्थित हुए।
इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों व आमजन को संबोधित करते हुए कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना ने कहा कि भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल फिलहाल की बात करें, तो लगभग 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। आज के समय में सिर्फ बड़े ही नहीं, बच्चे भी इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज में शरीर इंसुलिन हॉर्मोन को बनाने और उसे इस्तेमाल करने की क्षमता कम हो जाती है या खत्म हो जाती है।
कुलसचिव डाॅ.एच.के. अग्रवाल ने बताया कि यह बीमारी बढ़ते समय के साथ किडनी, नसों, दिल और आंखों को प्रभावित कर सकती है। डायबिटीक रेटिनोपैथी के मामले इसलिए तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि इसे लेकर लोगों में जानकारी और जागरूकता दोनों की कमी है। डाॅ. अग्रवाल ने कहा कि शुरुआती स्टेज में ज्यादातर मामले बिना लक्षण के ही होते हैं। इसलिए बेहद जरूरी है डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को डायबिटीक रेटिनोपैथी के बारे में जागरूक करना।
निदेशक डाॅ.एस.एस. लोहचब ने कहा कि डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी बीमारी है, जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह अंधेपन का कारण बन सकती है। चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कुंदन मित्तल ने कहा कि इस बीमारी को लेकर डॉक्टर्स को मरीजों को विस्तार से बताने और नियमित तौर पर जांच की आवश्यकता को लेकर जागरूक करने की जरूरत है।
क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. आर.एस. चौहान ने कहा कि डायबिटीज के चलते होने वाली आंखों की बीमारी को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं, जो बहुत ही गंभीर है इसके चलते आंखों की रोशनी भी जा सकती है। हालांकि, समय पर जांच और उपचार से काफी हद तक इस समस्या को रोका जा सकता है।
पीजीआईएमएस में डायबिटिक रेटिनोपैथी यूनिट की इंचार्ज डाॅ. मनीषा नाडा ने बताया कि उनके व डाॅ. जितेंद्र फोगाट के द्वारा डाॅ. आर.एस. चौहान के मार्गदर्शन में यह माह मनाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत कल पीजी के लिए पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई थी वहीं आज यूजी के लिए आयोजित की गई। डाॅ. मनीषा नाडा ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के ज्यादातर मामले बिना लक्षण के ही होते हैं। इस बीमारी का तब तक पता नहीं चलता, जब तक कि नियमित तौर से रेटिना की जांच न कराई जाए। इसलिए इसे दृष्टि का साइलेंट चोर भी कहा जाता है। शुगर के मरीजों में डायबिटीक रेटिनोपैथी के चांसेज समय के साथ बढ़ते जाते हैं। इसलिए डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद जरूरी है डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन करना और जरूरी परहेज करना। इस बीमारी को कंट्रोल में रखकर हेल्दी लाइफ जी सकते हैं। डाॅ. मनीषा नाडा ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी वयस्कों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। यह रेटिना में मौजूद रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है। डॉ मनीषा नाडा ने बताया कि गत दिवस नर्सिंग कॉलेज में व फार्मेसी कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम भी रखा गया था।
डाॅ. जितेंद्र फोगाट ने बताया कि इसके कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन या आंख में तरल पदार्थ का रिसाव हो सकता है। उन्होंने बताया कि 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है और उनका प्रयास रहता है कि इस पूरे माह में अधिक से अधिक लोगों को मधुमेह के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि इस माह दो जगह गांवों में नेत्र जांच शिविर लगाए जाएंगे, जिसमें शुक्रवार को डीघल गांव में वहीं रविवार को रोहतक में लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गुरुवार को डायबीटिक रेटिनोपैथी क्लिनिक चलाया जाता है। आईएमएच के निदेशक कम सीईओ डॉ राजीव गुप्ता ने पोस्टर प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के अभियान से हम अधिक से अधिक लोगों को जागरुक कर सकते हैं इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।
इस अवसर पर आईएमएच के निदेशक कम सीईओ डॉ राजीव गुप्ता,डाॅ. उर्मिल चावला,डाॅ. अशोक राठी, डॉ जितेंद्र फोगाट, डॉ सोनम गिल, आचार्य रमेश हुड्डा सहित विभाग के कई चिकित्सक उपस्थित थे, जिन्होंने आरआईओ से ओपीडी तक के जागरूकता मार्च भी निकाला।
डाॅ. मनीषा नाडा ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण:
- आंखों के सामने छोटी काली छाया घूमना, धुंधलापन
- आंखों के सामने अचानक अंधेरा छाना
- रात के समय नजर में दिक्कत
- रंगों को समझने में कठिनाई
- दृष्टिहीनता: बार-बार चश्मा का नंबर बदलना