Rohtak : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक अफेयर्स विभाग द्वारा संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों के लिए एनएमसी की गाइडलाइन के तहत बायोएथिक्स कोर्स शुरू किया गया है। गुरुवार को सुश्रुत ऑडिटोरियम में डीन एकेडमिक अफेयर्स डाॅ. ध्रुव चैधरी के दिशा-निर्देशन में शुरू हुए इस कोर्स का शुभारंभ कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना ने दीप प्रज्वलित करके किया।
इस अवसर पर पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों को संबोधित करते हुए डाॅ अनीता सक्सेना ने कहा कि हमेशा मरीजों के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखें। उन्होंने कहा कि नए चिकित्सक के लिए बायोएथिक्स का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, इससे उनका मरीज के प्रति होने वाले बर्ताव में सुधार आएंगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्धति में नैतिक सिद्धांतों को शामिल करना अनिवार्य हो गया है।
डॉ. अनीता सक्सेना ने कहा कि हमारे पास मरीजों की बहुत ज्यादा संख्या है, ऐसे में हमें खुद को इतना सक्षम बनाना चाहिए कि हम सभी मरीजों की बातों को ध्यान से सुनते हुए उनका अच्छे से इलाज कर सकें और उन्हें अपनी बात समझा सकें। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक सर्जन ने मरीज पर काफी मेहनत की लेकिन उसके बाद भी वह मरीज नहीं बच सका, उसके बावजूद भी मरीज के परिजन चिकित्सकों को चाय पिलाकर मरीज का इतना अधिक ध्यान रखने के लिए धन्यवाद करके गए। ऐसे में इस प्रकार के चिकित्सकों से प्रेरणा लेते हुए मरीज को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करना चाहिए।
डाॅ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि एनएमसी की गाइडलाइन के तहत यह प्रदेश का पहला कोर्स विश्वविद्यालय द्वारा करवाया जा रहा है। किसी भी पीजी को अपनी परीक्षा पास करने के लिए यह कोर्स करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को बताया गया कि किस प्रकार हमें मरीज के इलाज की सहमति लेनी है और कोई गंभीर बात है तो वह किस तरीके से बतानी होती है। डाॅ. ध्रुव चौधरी ने बताया कि इलाज और रिसर्च के दौरान डॉक्टरों को किन एथिक्स का पालन करना चाहिए यह सब कोर्स में शामिल होगा।
डाॅ. जितेंद्र जाखड़ ने बताया कि 45-45 पीजी छात्रों का एक बैच बनाकर यह कोर्स कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि बायो एथिक्स पीजी को अनुसंधान में नैतिकता के महत्व को समझने में मदद करता है। डाॅ. जाखड़ ने बताया कि यह कोर्स छात्रों को स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
डाॅ. आरती ने व्याख्यान देते हुए कहा कि हमें अपने चिकित्सक से अधिक से अधिक प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बायो एथिक्स का मेडिकल के क्षेत्र में बहुत ज्यादा महत्व है। यह हमें निर्णय लेने में मदद करता है कि क्या सही है और क्या गलत, जब हम मरीजों के साथ काम करते है। डाॅ. आरती ने बताया कि भोपाल से डॉ. अनंत ने भी ऑनलाइन व्याख्यान दिया। इस अवसर पर डाॅ. जितेंद्र जाखड़, डाॅ. सविता वर्मा, डॉ. रितु हुड्डा, डाॅ. आरती, डाॅ. कमल, विकास रोहिल्ला आदि उपस्थित थे।