धनंजय कुमार.नई दिल्ली/पटनाः बिहार का चुनाव न हुआ, मानो कोई बर्र का छत्ता हो गया जिसे चुनाव आय़ोग ने छेड़ दिया है। चुनाव आयोग ने अफरातफरी में किए गए मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेनशिव रिवीजन SIR ) के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट भले जारी कर दिया हो लेकिन इसका क्या हश्र होने वाला है, कहना मुश्किल है। अब तक 65 लाख वोटर के ‘सर कलम’ हुए हैं यानी उनके नाम सूची से हटा दिए गए हैं।
बिहार में ‘SIR’ और वोटरों के ‘सिर’ का सवाल बेहद दुरूह है, इतना कि सुप्रीम कोर्ट के हाथ पांव भी ठंडे हो गए दिखते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी फूंक फूंक कर कदम रख रहा है, हालांकि वह भी SIR की कई शर्तों से खुद राजी नहीं है। इधर राहुल गांधी इस संदर्भ में ‘वोटर बम’ का जुमला उछाल रहे हैं। ऐसे में लोकतंत्र बलि के लिए खूंटे से बंधे किसी बकरे की तरह मिमिया रहा है।
चुनाव आयोग ने अपने ‘सर’ को अपनी नाक का सवाल बना लिया है लेकिन उसकी नाक कितनी बचेगी कितनी नहीं कहना बेहद कठिन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की तलवार अभी भी लटकी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक संवैधानिक संस्था के रूप में चुनाव आयोग की लाज रखी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का अंतिम रुख क्या होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
चुनाव आयोग इस पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सलाह को दो बार ठुकरा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस रवैये को किस तरह लिया है, कहा नहीं जा सकता। चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने जो सलाह दी है उसके जरिए माई लार्ड ने पुनरीक्षण के विरोधियों के हाथ में एक बड़ा पैना हथियार तो थमा ही दिया है। यूं कहें कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह SIR के खिलाफ लगभग उनके फैसले जैसा है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सर के इस मामले में अंत में कोन ठहाके लगाएगा, किसके हिस्से अट्टहास आएगा कहना मुश्किल है। अभी चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का चेहरा भले मुस्कान से दमकता हुआ दिख रहा हो लेकिन उसे विजयी मुस्कान समझ लेना प्रेक्षकों की भूल होगी। अभी इस मामले के कई तीखे मोड़ों से गुजरने के आसार दिख रहे हैं। दोनों तरफ से अभी माइंड गेम खेला जा रहा है। फिर सड़कों के भी हंगामाखेज होने के आसार हैं। ‘डू या डाय’ जैसी स्थिति बनी तो बहुत संभव है कि नए वोटर लिस्ट में शामिल कुछ नाम हिंसा की भेंट भी चढ़ जाएं।
वोटरों के जोड़ने व घटाने को लेकर उठे सवालों की गंभीरता का पता इसी बात से चलता है कि बात धमकी तक पहुंच गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के अधिकारियों को यहां तक धमकी दे दी है कि अगर वे लोकतंत्र के चीरहरण में शामिल रहे तो उसे देश पर हमला और राजद्रोह माना जाएगा और उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा भले वे सेवानिवृत हो जाएं। उन्हें ढूंढ कर लाया जाएगा।
राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का सीधे नाम भले ही नहीं लिया हो लेकिन राहुल गांधी का संदेश उन्हीं के लिए था। तेजस्वी यादव भी धमकी भरे बयान ही दे रहे हैं लेकिन प्रेक्षकों का मानना है कि राहुल आवेश में हद की सीमा लांघ गए । वैसे इस तरह की बात उन तमाम वोटरों एवं नेताओं के मन भी होंगी जो यह समझते हैं कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ सांठगांठ से उन्हें हराने के लिए ऐसा कर रहा है लेकिन राहुल गांधी जैसे नेता का उसे सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर देना अतिरेक ही कहा जाएगा।