Tuesday, September 30, 2025
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बालवाटिकाएं बनीं नन्हे-मुन्नों का सीखने और खेलने का रंगीन संसार

लखनऊ : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बालवाटिका अब नन्हे-मुन्नों के लिए सीखने और खेलने का रंगीन संसार बनकर तैयार हो चुकी हैं।

3 से 6 वर्ष के बच्चों की ‘स्कूल रेडिनेस’ को सशक्त बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर में 5,118 विद्यालयों में नई बालवाटिकाओं की शुरुआत कर रहा है। इसके तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (ICDS) विभाग के सहयोग से निकटस्थ आंगनबाड़ी केंद्रों को इन विद्यालयों में स्थानांतरित किया गया है और इन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।

बालवाटिकाओं के माध्यम से हम नन्हे-मुन्नों के भविष्य की मजबूत नींव: संदीप सिंह

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप बालवाटिकाओं के माध्यम से हम नन्हे-मुन्नों के भविष्य की मजबूत नींव रख रहे हैं। पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम हमारी प्राथमिकता है, ताकि हर बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश से पहले मानसिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह तैयार हो सके।

ये हैं सुविधाएं

इन बालवाटिकाओं में बच्चों के लिए बालमैत्रिक फर्नीचर, आउटडोर खेल सामग्री, रंग-बिरंगे कक्षा-कक्ष, लर्निंग कॉर्नर और बाला फीचर जैसी आकर्षक व्यवस्थाएं की गई हैं। साथ ही, अभ्यास पुस्तिकाएं, गतिविधि-आधारित शिक्षण के लिए वंडर बॉक्स, शिक्षण-सामग्री (TLM) और स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई गई है। चरणबद्ध तरीके से ECCE एजुकेटर्स की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है, ताकि प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और आनंददायक अधिगम का अनुभव मिल सके।

महानिदेशक स्कूल ने कहा

इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा, कंचन वर्मा का कहना है कि 3 से 6 वर्ष की आयु बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ‘स्कूल रेडिनेस’ के इस चरण के पूर्ण होने पर बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश के समय शिक्षा ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम हमारी प्राथमिकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्री-प्राइमरी शिक्षा/बालवाटिका को विशेष महत्व दिया गया है, जिसके अनुरूप यह पहल की जा रही है।

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