चंडीगढ़ : हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा बिजली कनेक्शन से जुड़े एक प्रकरण में की गई लापरवाही, मनमानी एवं सरकारी निर्देशों की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए कड़ा संज्ञान लिया है। कमीशन ने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा जारी परिपत्र पूरी तरह स्पष्ट है और इसके बावजूद आवेदक से अतिरिक्त राशि की मांग करना नियमों के विरुद्ध है।
हिसार निवासी शिकायतकर्ता ने दिनांक 15.07.2025 को एलटी श्रेणी के अंतर्गत नया बिजली कनेक्शन हेतु आवेदन किया था, जिसकी अधिसूचित समय-सीमा 15 दिन है। इसके बावजूद पाँच माह से अधिक समय बीत जाने पर भी कनेक्शन जारी नहीं किया गया। शिकायतकर्ता का आरोप था कि उप-मंडल कार्यालय, नारनौंद के अधिकारियों द्वारा उसे जानबूझकर परेशान किया गया तथा परिपत्र संख्या D-37/2023 के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद 300 मीटर की छूट न देते हुए 1,96,126 रुपये का जानबूझकर गलत एस्टीमेट एवं डिमांड नोटिस जारी किया गया। प्रथम एवं द्वितीय अपील के बावजूद न तो एस्टीमेट में सुधार किया गया और न ही समयबद्ध सेवा प्रदान की गई। अंततः आयोग के समक्ष पुनरीक्षण दायर करने के बाद ही दिनांक 11.11.2025 को 1,03,410 रुपये का सही एस्टीमेट जारी किया गया।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सेवा में देरी एवं गलत डिमांड जानबूझकर की गई। कमीशन ने इसे न केवल गंभीर लापरवाही, बल्कि आवेदक को जानबूझकर परेशान करने एवं सेवा में अनुचित देरी का मामला माना है। इस आधार पर उप-मंडल अधिकारी को दोषी ठहराते हुए हरियाणा राइट टू सर्विस अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह) के अंतर्गत 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है तथा आवेदक को 1,500 रुपये की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, तत्कालीन ड्यूटी ऑफिसर एवं कनिष्ठ अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है कि उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए। वहीं, एसजीआरए एवं एफजीआरए के रूप में अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन न करने पर अधीक्षण अभियंता एवं कार्यकारी अभियंता को भी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति हेतु नोटिस जारी किए गए हैं। कमीशन ने संबंधित एसडीओ को यह भी निर्देश दिए हैं कि आवेदक का बिजली कनेक्शन 26 दिसंबर 2025 तक अनिवार्य रूप से जारी किया जाए।
हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने दोहराया है कि नागरिकों को समयबद्ध सेवाएं प्रदान करना विभागीय अधिकारियों की वैधानिक जिम्मेदारी है और नियमों की अवहेलना या मनमानी किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

