चौ. अभय सिंह चौटाला ने मीडिया को जारी बयान में कहा, एसवाईएल को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा यह कहना कि इसका हल चिनाब के पानी से निकलेगा यह ठीक वैसा है कि ‘‘ना नो मण तेल होगा और ना राधा नाचेगी’’। एसवाईएल का पानी हरियाणा को देने पर भगवंत मान की मंशा ठीक नहीं है। इस कहावत को सही ठहराते हुए भगवंत मान सरकार ने विधानसभा में बीबीएमबी संस्थानों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा तैनात की गई सीआईएसएफ के विरोध में प्रस्ताव पारित किया। भगवंत मान ने यह भी कहा कि एसवाईएल का तीन चौथाई पानी पंजाब का है और एक चौथाई हिमाचल का है तो फिर हरियाणा कहां जाएगा? कल को भगवंत मान यह कह देगा कि चंडीगढ़ स्थित सचिवालय और विधानसभा पंजाब का है। भगवंत मान पानी के मुद्दे पर कोरी राजनीतिक कर रहे हैं। भगवंत मान एक तरफ तो हरियाणा को पानी नहीं देने की बात करते हैं। जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान जाने वाले पानी को वो रोकते नहीं हैं।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि चंडीगढ़ का जो प्रशासक पंजाब गवर्नर को बनाया गया है वो गलत है। शाह कमीशन के अनुसार चंडीगढ़ हरियाणा का है इसलिए चंडीगढ़ का प्रशासक भी हरियाणा के गवर्नर को बनाना चाहिए।
चौटाला ने कहा हरियाणा का मुख्यमंत्री पूरी तरह से डमी है उसका भी खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। एसवाईएल मुद्दे पर दिल्ली में हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बयान दिया कि बातचीत सार्थक रही जो कि बेहद बचकानी बात है। एसवाईएल के मामले में सीधी उंगली से घी नहीं निकलेगा उसके लिए उंगली टेढ़ी करनी पड़ेगी। नायब सैनी को भगवंत मान से सख्ती से कहना चाहिए था कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय को माने और एसवाईएल का पानी हरियाणा को दे।