हरियाणा के जनस्वास्थ्य एवं लोक निर्माण मंत्री डा. बनवारी लाल ने कहा कि प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान सरकार के पौने 10 साल के दौरान विभिन्न पेयजल एवं सीवरेज योजनाओं के प्रभावी और स्थाई इन्फ्रास्टक्चर तैयार करने पर 133343.36 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है।
जनस्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश भर में 294 नहरी जल पर आधारित परियोजनाओं और 265 ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजनाओं के माध्यम से नागरिकों को निर्बाध रूप से पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पेयजल सप्लाई करने के लिए 575.50 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई है। इसके अलावा राज्य में 1508.45 करोड़ रुपए की लागत से 4861 नए टयूबवैल और 1343 बुस्टिंग स्टेशन बनाकर चालू किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 14 बड़े-बडे़ गांवों में पेयजल सप्लाई 70 लीटर से बढ़ाकर 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन की गई है। इसके अलावा 12 गांवों में सीवरेज ट्रीटमेंट सुविधाओं में इजाफा किया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में गंदगी न फैले और स्वच्छ वातावरण भी बना रह सके। उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 18 लाख 56 हजार 212 नलों पर टोंटी लगाकर पानी को व्यर्थ बहने से रोका गया है।
डा. बनवारी लाल ने कहा कि प्रदेश के पलवल एवं नूंह जिलों के 164 गांवों में निर्बाध रूप से पेयजल सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए 3 रेनीवेल सफलतापूर्वक शुरू किए गए हैं। इनमें से 2 रेनीवेल गांव मोहना व एक सुलतान गांव के नजदीक लगाया गया है जिससे इस क्षेत्र के लोगों को पेयजल समस्या से निजात दिलवाई गई। इसके साथ ही निर्बाध रूप से और पर्याप्त मात्रा में पेयजल सप्लाई मुहैया करवाई गई। उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 21959.71 किलोमीटर लम्बी डीआई पेयजल पाइप लाइन डाली गई है। इसके अलावा, विभिन्न शहरी क्षेत्रों में 72 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू किए गए हैं। इन पर 433.60 करोड़ रुपए की लागत आई है।
पार्कों व बागवानी के अलावा उद्योगों में उपचारित जल का उपयोग करने पर बल
जनस्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग करने के लिए वर्ष 2019 में तालमेल जल नीति शुरू की गई। इस नीति के तहत दिसंबर 2028 तक प्रदेश भर में शत प्रतिशत उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ताकि इस उपचारित जल को सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सके। इस उपचारित अपशिष्ट जल के दोबारा से उपयोग में लाने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है ताकि विशेषकर अभावग्रस्त भूजल क्षेत्रों के साथ साथ शहरी क्षेत्र में भी उपचारित जल का आसानी से उपयोग किया जा सके। विशेषकर शहरी क्षेत्रों के पार्कों व बागवानी, आदि के अलावा उद्योगों में उपचारित जल का आसानी से उपयोग करने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना से राज्य में उपलब्ध पानी का सही सदुपयोग किया जा सकेगा और लोगों के लिए कृषि के साथ अन्य क्षेत्रों में उपचारित जल का आसानी से सुलभ हो सकेगा।
177 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में 1500.38 एमएलडी अपशिष्ट जल किया शोध
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 2117.50 एमएलडी की क्षमता वाले 177 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में 1500.38 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का शोध किया जा रहा है, जिसमें से 281.65 एमएलडी जल का पुनः उपयोग भी शुरू किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2025 तक पुन उपयोग किए जाने वाले उपचारित अपशिष्ट जल की मात्रा लगभग 1004.97 एमएलडी करने पर विभाग द्वारा तेजी से कार्रवाई की जा रही है। जल है तो जीवन है, जल के बिना सब कुछ निर्जीव हो जाता है। इसलिए सरकार ने जल बचाओ मुहिम चलाकर लोगों को विशेष रूप से जल का संरक्षण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि भावी पीढ़ी का भविष्य सुखमय बनाया जा सके।