Monsoon : मौसम विभाग की भविष्यवाणी से एक दिन पहले ही मॉनसून ने गुरुवार (30 मई) केरल के तट समेत पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में दस्तक दे दी है। IMD ने 31 मई का पूर्वानुमान लगाया था। वहीं उत्तर भारत में जून अंत तक दस्तक दे सकता है।
मौसम विशेषज्ञ डॉ चंद्र मोहन के मुताबिक, अपनी दिशा बदलने वाली हवाओं को मानसून कहा जाता है। जो आमतौर पर गर्मीयों में सागर से स्थल की और जबकि सर्दियों में स्थल से सागर की और चलतीं है। मानसून किसी क्षेत्र में प्रचलित या फिर सबसे तेज हवाओं की दिशा में होने वाला मौसमी परिवर्तन है। भारत के सन्दर्भ में मानसून हवाओं का एक समूह है जो हिन्द महासागर से नमी लेकर जमीनी इलाकों की तरफ बढ़ता है। और जहां से भी ये हवाएं गुजरती हैं वहां नमीं और बादलों का निर्माण होता है जिसकी वजह से बारिश की गतिविधियों को दर्ज किया जाता है।
अब मुख्य प्रश्न सामने आते हैं, कि भारत में केरल से ही मानसून क्यों शुरू होता है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि वास्तव में मानसून सबसे पहले अंडमान पहुंचता है। लेकिन मुख्य भूमि के हिसाब से उसके रास्ते में सबसे पहले केरल ही पड़ता है, इसलिए आमतौर पर केरल को ही मानसून का प्रारंभ माना जाता है। इसके पीछे विज्ञान है धरती पर अक्षांशों के तापमान में अंतर का, कोरियोलिस दबाव का और केरल की अक्षांशीय स्थिति का भी है।
इस भू-भाग में भीषण गर्मी होती
मई-जून में सूरज पृथ्वी के उत्तरी हिस्से में होता है, इसीलिए इस भू-भाग में भीषण गर्मी होती है। जैसा वर्तमान परिदृश्य में हों रहा है। इससे एक ऐसा क्षेत्र बनता है जहां हवा का दबाव बहुत कम हो जाता है। जाहिर है इसके विपरीत पृथ्वी के दक्षिण में सूरज की गर्मी कम होती है।इससे वहां का तापमान कम होता है। ऐसे में भूमध्य रेखा (वह काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बांटती है) के दक्षिण में हवा का दबाव अधिक हो जाता है। भूगोलवेता फेरल का एक सामान्य नियम है कि जहां तापमान ज्यादा वहां हवा का दबाव कम, और जहां तापमान कम वहां दबाव ज्यादा हों जाता है।ऐसे में हवा अधिक दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्र की तरफ चलने लगती है। तकनीकी भाषा में कहें तो भूमध्य रेखा के दक्षिण में उच्च वायुदाब के क्षेत्र से भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित निम्न वायु दाब के क्षेत्र भारत की तरफ हवा चलने लगती है। यही मानसूनी हवा होती है।
भारत में सबसे पहले बारिश केरल में
इन्हीं बहती हुई हवाओं पर एक बल काम करता है जिसे कोरियोलिस दबाव कहते हैं। इस बल का जन्म पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण होता है। ये बल हवाओं की दिशा को प्रभावित करता है। अब चूंकि ये हवाएं भारत के दक्षिण-पश्चिम दिशा से आ रही हैं, और भारत के सबसे दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर केरल स्थित है, जहां पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं जिनसे ये हवाएं टकराती हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि मेनलैंड भारत में सबसे पहले बारिश केरल में होगी।
मानसूनी हवा दो हिस्सों में बंट जाती
केरल के तटों से टकराने के बाद यह मानसूनी हवा दो हिस्सों में बंट जाती है। एक हिस्सा पश्चिमी भारत में बारिश करता है, जबकि दूसरा हिस्सा तमिलनाडु के तट के सहारे ‘बंगाल की खाड़ी ’ शाखा बनाता है। इससे पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर और उत्तर भारत में मानसूनी बारिश होती है। हालांकि, जैसा ऊपर बताया, केरल से भी पहले मानसून अंडमान पहुंचता है। आसान सी बात है कि जो स्थान भूमध्य रेखा से जितना नजदीक होगा, मानसूनी हवाएं वहां उतनी ही जल्दी पहुंचेंगी। पूरे भारत की बात हो तो सबसे पहले मानसूनी बारिश अंडमान और निकोबार में होती, जबकि मुख्य भूमि भारत की बात हो तो बाद में सबसे पहले केरल में बरसेंगे।
यह- संपूर्ण जानकारी राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डा. चंद्रमोहन ने दी।