Friday, November 22, 2024
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अप्रैल फूल : राजा-रानी की कहानी से शुरू हुआ था ये सिलसिला? जाने क्यों कहा जाता है इसे मूर्खों का दिन

नई दिल्ली। अप्रैल फूल बनाया बड़ा मजा आया… एक अप्रैल यानी कि अप्रैल फूल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किसी को भी बेझिझक होकर बेवकूफ बना सकते हैं जिसका कोई बुरा नहीं मानता। वैसे तो अप्रैल फूल दिवस पश्चिम देशों में हर साल अप्रैल की पहली तारीख को सेलिब्रेट किया जाता है लेकिन भारत में कई दिनों पहले ही इसकी शुरूआत हो जाती है। गिफ्ट के खाली डिब्बे देकर तो नकली कॉकरोच और छिपकली से एक-दूसरे को डराकर लोग खुश होते हैं। मतलब आप इस दिन किसी को भी बेझिझक होकर बेवकूफ बना सकते हो और सबसे अच्छी बात की इसका कोई बुरा भी नहीं मानता। तो हर साल 1 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है फूल डे। जानते हैं इसके बारे में…

अप्रैल फूल दिवस शुरूआत की अलग-अलग कहानियां

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है और अप्रैल फूल डे मनाना कब से शुरू हुआ? इसके पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। पहली बार अप्रैल फूल डे कब मनाया गया इसके बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि फ्रेंच कैलेंडर में होने वाला बदलाव भी अप्रैल फूल डे मनाने का कारण हो सकता है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं।

किंग रिचर्ड द्वितीय और एनी की सगाई

ज्यॉफ्री सॉसर्स ने पहली बार साल 1392 में इसका जिक्र अपनी किताब केंटरबरी टेल्स में किया था। कहा जाता है इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा की गई थी जिसे वहां के लोग सही मान बैठे और मूर्ख बन गए, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है।

फ्रेंच कैलेंडर में बदलाव

दूसरी कहानी के अनुसार सन् 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने 1 जनवरी से नए कैलेंडर की शुरुआत की। इसके साथ मार्च के आखिर में मनाए जाने वाले न्यू ईयर के सेलिब्रेशन की तारीख में बदलाव हो गया। कैलेंडर की यह तारीख पहले फ्रांस में अपनाई गई। हालांकि, यूरोप में रह रहे बहुत से लोगों ने जूलियन कैलेंडर को ही अपनाया था। इसके एवज में जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाया उन्होंने उन लोगों को फूल (मूर्ख) कहना शुरू कर दिया जो पुराने कैलेंडर के मुताबिक ही चल रहे थे।

हिलारिया फेस्टिवल

हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था। इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी। हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था। इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे। साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे। उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया।

अलग-अलग देशों में अलग परंपरा

अप्रैल फूल को अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जहां आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और ब्रिटेन में ये दोपहर तक मनाया जाता है। जिसके पीछे वजह है कि यहां के अखबार केवल सुबह के अंक में मुख्य पेज पर अप्रैल फूल डे से जुड़े विचार रखते हैं। जबकि कुछ देशों- जापान, रूस, आयरलैंड, इटली और ब्राजील में पूरे दिन अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। फ्रांस, इटली, बेल्ज‍ियम में कागज की मछली बनाकर लोगों के पीछे चिपका दी जाती है और फिर सभी का मजाक बनाकर अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स कहा जाता है। वहीँ ईरानी फारसी नववर्ष के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं, यह 1 या 2 अप्रैल का दिन होता है।

माज-काट अप्रैल फूल डे

दुनिया में कई ऐसे देश भी हैं जहां अप्रैल फूल डे तो मनाया ही जाता है। साथ ही एक दूसरा दिन भी मूर्ख दिवस के रूप में होता है। डेनमार्क में 1 मई माज-काट के रूप में मनाया जाता है। डेनमार्क का माज-काट अप्रैल फूल डे के समान ही होता है। पोलैंड में अप्रैल फूल डे प्राइमा एप्रिलिस के नाम से जाना जाता है। पोलैंड में इस दिन मीडिया और सरकारी संस्थान हाक्स तैयार करते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। पिछले कुछ सालों से इसे मनाने का क्रेज बढ़ गया है। सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े मीम्स जोक्स जमकर वायरल होते हैं। हालांकि, मजाक करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें कि आपकी किसी भी बात से लोगों को ठेस ना पहुंचे।

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