रोहतक। रोहतक शहर में स्थित चार सिद्धपीठों में शामिल 400 वर्ष प्राचीन शीतला माता मंदिर में 27 मार्च से वार्षिक पूजनोत्सव शुरू हो गया है। यह एक महीने तक चलेगा। इस माह के सभी बुधवार को मेला लगता है और आदिशक्ति मां की विशेष आराधना की जाती है। मंगलवार-बुधवार की आधी रात को भोग-आरती और जयकारे के साथ ही दर्शन-पूजन का सिलसिला प्रारंभ हो गया है।
12 बजे ही मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
प्राचीन श्री शीतला माता मंदिर में चैत्र महीने के पहले बुधवार को मेला लगा। जिसमें मंदिर के प्रति दूर-दूर तक के श्रद्धालुओं के आस्था होने के चलते मेले में मंगलवार आधी रात से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। मंदिर में माता को गुड़ के बने पकवानों का भोग लगता है। मेले में माता के दर्शन के लिए मंगलवार रात 12 बजे ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ पड़ी। यहां एक माह तक प्रत्येक बुधवार को माता का मेला लगेगा। मेला आयोजनों ने श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के पुख्ता प्रबंधन किए हैं।
जयकारों से गूंजा पूरा माता दरवाजा चौक
रात 12 बजे से मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ वहां पहुंचना शुरू हो गई। पहले दर्शन के चलते रात नौ बजे से ही श्रद्धालु कतार में खड़े होना लगना शुरू हो गए। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोले गए। इसके बाद लगातार श्रद्धालुओं का अगामन बना रहा। यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर परिसर में व्यवस्था बनाने के लिए आयोजकों ने पुख्ता प्रबंधन किए हुए थे। सुरक्षा के लिए यहां पुलिस बल तैनात रहा। मंदिर के सेवकों ने भी अपना सहयोग दिया। इस दौरान श्रद्धालुओं के जयकारों से पूरा माता दरवाजा चौक गूंज उठा।
सुबह से बनी जाम की स्थिति
मंदिर के महंत थानेश्वरदास ने कहा कि चैत्र मास के पहले बुधवार को माता शीतला के मंदिर में मेला शुरू होता है। मेला एक माह तक प्रत्येक बुधवार को लगता है। हर सप्ताह बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां का आशीर्वाद लेने आते हैं। माता 84 गांवों की इष्ट देवी है। माता की मान्यता के चलते मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनमें नवविवाहित जोड़े, नवजात शिशुओं का मुंडन भी कराने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं। वहीं मेले के चलते मंदिर के बाहर दुकानें भी लगी हुई हैं। जहां से श्रद्धालुओं ने खरीदारी कर रहे हैं। मंदिर के बाहर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े रहे हैं जिसकी वजह से सुबह से ही जाम की स्थिति बनी हुई है।
मंदिर के साथ बना तालाब सूखा
मंदिर के महंत की मानें तो माता के दर्शनों के बाद साथ लगते तालाब में भी श्रद्धालु पूजन के लिए जाते हैं। पहले इस तालाब के पानी का इस्तेमाल होता था। पिछले कई वर्षों में इसे बरसाती व दूषित पानी मिलने से यह प्रयोग करने लायक नहीं रहा। तालाब पर कब्जे के चलते भी विवाद में घिरा रहा। बाद में प्रशासन ने नगर निगम के जरिए तालाब के जीर्णोद्धार के लिए करीब 25 लाख रुपये बजट पास किया। कुछ समय पहले ठेकेदार ने तालाब का काम भी शुरू किया। इसके तहत इसकी पैडियां व अन्य हिस्सा खोदा गया। इसके बाद से काम बंद है। तालाब में न पानी है न इसकी हालात सुधरी है। ऐसे में यहां किसी के गिर कर चोटिल होने का भी डर है।